LG ने केजरीवाल को लिखी चिट्ठी, कहा- अपने मंत्रियों पर लगाएं लगाम… जानें क्या है पूरा मामला


Delhi CM Arvind Kejriwal - India TV Hindi
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Delhi CM Arvind Kejriwal 

Highlights

  • ‘अपने मंत्रियों को गुमराह करने वाले बयान देने से रोकें’
  • ‘भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने पर सहमति बनी थी’
  • सिसोदिया ने बीजेपी का पक्ष लेने का आरोप लगाया था

Delhi News: दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना ने आज मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के इन आरोपों का खंडन किया कि वह बीजेपी का पक्ष ले रहे हैं और केजरीवाल से आग्रह किया कि वह अपने मंत्रियों को गुमराह करने वाले बयान देने से रोकें। 

सिसोदिया ने कोविड-19 महामारी के दौरान सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में कथित अनिमियतता की जांच भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी) से कराने की इजाजत देने के सिलसिले में कुछ दिन पहले एलजी को एक चिट्ठी भेजकर उन पर बीजेपी का पक्ष लेने का आरोप लगाया था। इस पर एलजी ने जवाब दिया है। 

एलजी बोले- कानूनी तौर पर गलत बयानी की है 

केजरीवाल को लिखे पत्र में सक्सेना ने कहा कि यह दुखद और हैरान करने वाला है कि उप-मुख्यमंत्री ने मामले पर तथ्यात्मक और कानूनी तौर पर गलत बयानी की है और वांछित प्रशासनिक कार्रवाई का गैर-जरूरी तौर पर राजनीतिकरण किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि हर शुक्रवार को होने वाली बैठक में उनकी (दोनों की) भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने पर सहमति बनी थी और इसके लिए उनका सहयोग मांगा। 

एलजी ने लिखा, “सुशासन के हित में, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप अपने मंत्रियों को ऐसे निरर्थक बयान देने से रोकें, जो गुमराह करने वाले और अवरोधक पैदा करने वाले हैं।” सक्सेना ने सिसोदिया द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के साथ-साथ अपने अधिकारों की कानूनी स्थिति के बारे में भी बताया। 

‘सेवा का विषय दिल्ली विधानसभा के दायरे से बाहर है’

उन्होंने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने चार अगस्त 2016 को अपने फैसले में कहा था कि दिल्ली के शासन की संवैधानिक योजना के मुताबिक, सेवा का विषय दिल्ली विधानसभा के दायरे से बाहर है। एलजी ने कहा, “यह फैसला अभी भी मान्य है, क्योंकि इस मुद्दे पर चुनी हुई सरकार की ओर से दायर दीवानी अपील पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई होनी बाकी है।” 

उन्होंने कहा कि सावधानीपूर्वक शिकायत का परीक्षण करने और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम 1988 और अदालतों द्वारा तय किए गए कानून के प्रावधानों के मुताबिक, पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत पर तफ्तीश की अनुमति दी गई है। 

सिसोदिया ने अपने पत्र में पूछा था कि किसके दबाव में आकर सक्सेना ने एक साल पुरानी शिकायत पर एसीबी से जांच कराने की अनुमति दी है, जबकि उनके पूर्ववर्ती अनिल बैजल इसे बेबुनियाद बताकर खारिज कर चुके थे। बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने लोक निर्माण विभाग की ओर से अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में कथित अनियमितता की शिकायत की थी। 





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