क्वीन एलिजाबेथ II के निधन के बाद ताज में लगे कोहिनूर हीरे का क्या होगा? जानें यहां


Queen Elizabeth II- India TV Hindi News
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Queen Elizabeth II

Highlights

  • साल 1937 में बनाया गया था क्राउन
  • कोहिनूर 105 कैरेट का हीरा है
  • प्लेटिनम के एक माउंट के साथ क्राउन में लगा हुआ है कोहिनूर

Queen Elizabeth: ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 96 साल की उम्र में निधन हो गया। स्काटलैंड के पैलेस में क्वीन ने अपनी अंतिम सांस ली। अब लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा कि क्वीन एलिजाबेथ के क्राउन में लगे कोहिनूर हीरे का क्या होगा। बता दें कि एलिजाबेथ ताज को खास कार्यक्रमों में पहनती थीं। कोहिनूर के अलावा भी क्राउन में 2,867 हीरे लगे हैं। एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद से सोशल मीडिया पर कोहिनूर ट्रेंड कर रहा है और लोग इसे लेकर तरह-तरह के सवाल पूछ रहे हैं। आपकों बता दें कि अब ये क्राउन(ताज) अगली होने वाली महारानी को सौंपा जाएगा।

साल 1937 में बनाया गया था क्राउन

जानकारी के लिए आपकों बता दें कि ब्रिटेन की अगली महारानी डचेस ऑफ कॉर्नवाल कैमिला होंगी जो एलिजाबेथ द्वितीय के सबसे बड़े बेटे प्रिंस चार्ल्स की पत्नी हैं। महारानी की मौत के बाद अब प्रिंस चार्ल्स राजा बन जाएंगे। जानकारी के लिए बता दें कि ये क्राउन राजा जॉर्ज छठे की ताजपोशी के लिए साल 1937 में बनाया गया था। कोहिनूर के अलावा इस क्राउन में कई बेसकीमती पत्थर भी लगे हैं। क्राउन में साल 1856 में तुर्की के तत्कालीन सुल्तान द्वारा महारानी विक्टोरिया को तोहफे में दिया गया एक बड़ा पत्थर भी लगा है। ये उन्होंने क्रीमिया युद्ध में ब्रिटिश सेना के प्रति अपना आभार जताने के लिए दिया था।

प्रिंस चार्ल्स बनेंगे किंग

कोहिनूर 105 कैरेट का हीरा है, जो प्लेटिनम के एक माउंट के साथ क्राउन में लगा हुआ है। ये ब्रिटिश क्राउन के सामने क्रॉस के पास लगा है। क्वीन एलिजाबेथ ने इसी साल घोषणा की थी कि प्रिंस चार्ल्स के राजा बनने पर डचेस कैमिला को भी क्वीन की उपाधि दी जाएगी। ऐसे में प्रिंस चार्ल्स के राज्याभिषेक के दौरान कैमिला को ही कोहिनूर के साथ क्राउन सौंपा जाएगा।

कोहिनूर का इतिहास

माना जाता है, करीब 800 साल पहले भारत में एक चमकता हुआ पत्थर मिला था, जिसे कोहिनूर नाम दिया गया। कोहिनूर हीरा दुनिया के सबसे बड़े हीरे में से एक है। कूह-ए-नूर का मतलब रोशनी का पर्वत होता है। कहा जाता है कि ये भारत की गोलकुंडा खदान में मिला था। जब ब्रिटिश उपनिवेश पंजाब में आया तो इसे अंतिम सिख शासक दलीप सिंह के पास था। 1849 में अंग्रेजों ने पंजाब पर विजय प्राप्त की और लाहौर संधि की घोषणा की गई। इसके बाद लॉर्ड डलहौजी ने रणजीत सिंह के उत्तराधिकारी दिलीप सिंह द्वारा महारानी विक्टोरिया को कोहिनूर भेंट करने की व्यवस्था की गई। हीरा 1850 -51 में महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया था। तब से कोहिनूर हीरा इंग्लैंड में ही है।

कोहिनूर को लेकर एक मिथक भी जुड़ा हुआ है कि ये हीरा स्त्री के लिए भाग्यशाली है, वहीं पुरुष स्वामियों के लिए ये दुर्भाग्य और मृत्यु का कारण बन सकता है।

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