दक्षिण कोरिया और जापान के बीच दोस्ती की नयी कहानी लिखने की कोशिश की जा रही है लेकिन इन दोनों देशों की आपसी कड़वाहट का इतिहास बहुत पुराना है।
Features
lekhaka-Rajkumar Pal


जापान
और
दक्षिण
कोरिया
अपनी
पुरानी
दुश्मनी
भूल
दोस्ती
की
नयी
इबारत
लिखते
दिखाई
दे
रहे
हैं।
16
मार्च
2023
को
जापान
के
प्रधानमंत्री
फुमियो
किशिदा
ने
दक्षिण
कोरिया
के
राष्ट्रपति
यून
सुक
योल
से
मुलाकात
की।
बता
दें
कि
पिछले
12
सालों
में
यह
पहला
मौका
था
जब
दोनों
देशों
के
बड़े
नेताओं
ने
मुलाकात
की।
2011
के
बाद
दोनों
देशों
के
बीच
इस
तरह
की
यह
पहली
बैठक
है।
वैसे
इन
देशों
के
बीच
की
कड़वाहट
की
कहानी
बहुत
पुरानी
है।
दरअसल,
कोरिया
पर
साल
1910
से
लेकर
द्वितीय
विश्व
युद्ध
के
खत्म
होने
तक
जापान
का
कब्जा
था।
उस
समय
जापान
के
सैनिकों
ने
हजारों
कोरियाई
महिलाओं
को
गुलाम
बनाकर
रखा
था।
दक्षिण
कोरिया
हमेशा
कहता
है
कि
वह
इन
जख्मों
को
न
तो
भूलेगा
और
न
ही
जापान
को
कभी
माफ
करेगा।
वहीं
जापान
का
कहना
है
कि
ये
मामला
दशकों
पुराना
है
और
यह
मामला
1965
में
खत्म
हो
गया
था।
आखिर
क्या
है
विवादित
इतिहास
1910
से
1945
में
दूसरे
विश्व
युद्ध
में
जापानियों
के
हथियार
डालने
तक
कोरिया
पर
जापान
का
शासन
था।
तब
उत्तर
कोरिया
और
दक्षिण
कोरिया
अलग-अलग
देश
नहीं
थे।
कथित
तौर
पर
जापान
के
सैनिकों
ने
कारखानों
में
जबरन
काम
करवाने
के
अलावा
कोरिया,
थाईलैंड
और
पूरे
एशिया
से
तकरीबन
20
हजार
से
ज्यादा
महिलाओं
की
भर्ती
की
थी।
इन्हें
‘कम्फर्ट
विमेन’
कहा
गया।
इनका
काम
युद्ध
के
दौरान
जापानी
सैनिकों
को
सेक्स
सेवाएं
प्रदान
करना
था।
‘द
कोरिया
हेराल्ड’
की
रिपोर्ट
के
मुताबिक
2013
में
एक
दर्जन
बुजुर्ग
दक्षिण
कोरियाई
महिलाओं
ने
कोरिया
के
सुप्रीम
कोर्ट
में
अपने
साथ
हुए
अत्याचार
को
लेकर
100
मिलियन
वॉन
($
85,000)
मुआवजे
की
मांग
की।
तब
जापानी
सरकार
ने
कहा
कि
दक्षिण
कोरियाई
कोर्ट
का
जापानी
सरकार
पर
अधिकार
क्षेत्र
नहीं
है।
दक्षिण
कोरियाई
कोर्ट
ने
मध्यस्थता
के
लिए
15
जून
से
13
जुलाई
2013
की
तारीख
तय
की
और
जापान
सरकार
से
अपना
प्रतिनिधि
भेजने
को
कहा,
लेकिन
कोई
जापानी
अधिकारी
नहीं
आया।
शिंजो
आबे
ने
की
सुलह
ऑब्जर्बर
रिसर्च
फाउंडेशन
की
रिपोर्ट
के
मुताबिक
2015
में
जापानी
प्रधानमंत्री
शिंजो
आबे
और
दक्षिण
कोरिया
के
राष्ट्रपति
पार्क
ग्यून-हाई
ने
सियोल
में
एक
द्विपक्षीय
समझौते
के
जरिये
इस
मुद्दे
पर
सहमति
बना
ली
थी।
प्रधानमंत्री
आबे
की
ओर
से
जारी
बयान
में
जापान
की
‘दिल
से
माफी
और
पछतावे’
का
इजहार
किया
गया
था।
जापान
ने
माफी
के
प्रतीक
के
रूप
में
पीड़िताओं
के
कल्याण
के
लिए
एक
अरब
येन
की
पेशकश
भी
की
थी।
हालांकि,
इस
समझौते
में
यह
कहीं
नहीं
लिखा
गया
था
पीड़िताओं
को
जबरन
ले
जाया
गया
और
सेक्स
स्लेव
बनाया
गया।
इससे
दक्षिण
कोरिया
में
आक्रोश
फैल
गया।
इसके
अलावा
जीवित
बची
दक्षिण
कोरियाई
‘कम्फर्ट
विमेन’
ने
यह
कहते
हुए
उस
समझौते
को
पूरी
तरह
खारिज
कर
दिया
कि
यह
समझौता
उन्हें
भरोसे
में
लिये
बगैर
किया
गया
है।
तब
राष्ट्रपति
पार्क
ग्यून-हाई
के
उत्तराधिकारी
राष्ट्रपति
मून-जे-इन
ने
इस
समझौते
को
लेकर
आलोचना
की
और
पदभार
संभालते
ही
2017
में
करार
को
रद्द
कर
दिया।
तब
जापान
ने
कहा
कि
2015
के
समझौते
को
संशोधित
करने
या
शर्तों
को
दोबारा
तय
करने
की
किसी
भी
एकतरफा
कोशिश
से
जापान
और
दक्षिण
कोरिया
संबंधों
पर
गंभीर
प्रभाव
होंगे।
इसके
बाद
से
दोनों
देशों
के
बीच
तनाव
देखने
को
मिलने
लगा।
2018
में
दिया
जापान
के
खिलाफ
आदेश
दक्षिण
कोरिया
के
सुप्रीम
कोर्ट
द्वारा
2018
में
आदेश
दिया
गया
कि
जापान
की
निजी
कंपनियां
उन
मजदूरों
को
मुआवजा
दें
लेकिन
कोई
मुआवजा
नहीं
दिया
गया।
इसके
बाद
8
जनवरी
2021
सियोल
की
एक
स्थानीय
कोर्ट
ने
12
महिलाओं
के
पक्ष
में
फैसला
सुनाया।
इस
पर
जापान
ने
तुरंत
फैसले
का
विरोध
करते
हुए
कहा
कि
1965
की
संधि
के
तहत
सभी
युद्धकालीन
मुआवजे
के
मुद्दों
को
हल
किया
गया
था।
इस
मनमुटाव
के
बीच
साल
2019
में
दक्षिण
कोरिया
ने
जापान
के
साथ
अपने
सैन्य
खुफिया-साझाकरण
समझौते
को
रद्द
कर
दिया।
वहीं
जापान
ने
भी
दक्षिण
कोरिया
की
टेक्नोलॉजी
कंपनियों
पर
प्रतिबंध
लगा
दिया।
दोनों
देशों
के
बीच
व्यापारिक
रिश्ते
खत्म
होने
लगे।
अब
दोनों
देशों
ने
कैसे
की
दोस्ती?
हाल
के
वर्षों
में
चीन
और
उत्तर
कोरिया
के
बढ़ते
असर
पर
काबू
पाने
के
लिए
अमेरिका
की
कोशिश
रही
है
कि
वह
अपने
सहयोगियों
को
साथ
ला
सके।
दक्षिण
कोरिया
के
रक्षा
मंत्रालय
का
कहना
है
कि
सुरक्षा
सहयोग
और
अमेरिका
के
साथ
त्रिपक्षीय
रिश्तों
को
मजबूत
करने
की
दिशा
में
काम
किये
जायेंगे।
दक्षिण
कोरिया
के
राष्ट्रपति
यून
सुक
योल
ने
भी
इस
महीने
की
शुरुआत
में
कहा
था
कि
उत्तर
कोरिया
से
बढ़ते
परमाणु
खतरे
और
दूसरे
संकटों
को
ध्यान
में
रखते
हुए
अमेरिका
और
जापान
के
साथ
सहयोग
की
जरूरत
बढ़
गई
है।
जापान-दक्षिण
कोरिया
समिट
से
पहले
बौखलाए
किम
जोंग
उन,
उत्तर
कोरिया
ने
दागी
ICBM
मिसाइल
वॉशिंगटन
पोस्ट
ने
अपने
एक
लेख
में
कहा
है
कि
अमेरिका
भले
ही
जापान
और
दक्षिण
कोरिया
के
बीच
सुलह
करवाने
का
श्रेय
ले
रहा
है
लेकिन
हकीकत
कुछ
और
है।
दक्षिण
कोरिया
और
जापान
ने
एक
नये
अध्याय
की
शुरुआत
इसलिए
की
है
क्योंकि
ये
दोनों
देश
समझते
हैं
कि
दुनिया
तेजी
से
बदल
रही
है
और
चीन
से
अकेले
निपटना
इनके
लिए
आसान
नहीं
है।
दोनों
देशों
ने
किया
अहम
ऐलान
दक्षिण
कोरिया
के
राष्ट्रपति
ने
कहा
कि
वह
अपनी
उस
मांग
को
खत्म
कर
रहे
हैं
जिसके
तहत
द्वितीय
विश्व
युद्ध
के
दौरान
जबरन
मजदूरी
की
वजह
से
जापानी
कंपनियों
से
कोरियाई
पीड़ितों
के
लिए
मुआवजे
की
मांग
की
जा
रही
थी।
वहीं
जापान
सरकार
ने
भी
कहा
कि
वह
दक्षिण
कोरिया
की
टेक्नोलॉजी
कंपनियों
पर
साल
2019
से
लगे
प्रतिबंधों
को
खत्म
कर
रही
है।
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English summary
Japanese soldiers had made Korean women slaves now both countries are friends