भारत-चीन टेंशन के बीच ईस्टर्न लद्दाख में तेजी से बना है इन्फ्रास्ट्रक्चर, सेना की क्षमता में तीन गुना इजाफा


नई दिल्ली: ईस्टर्न लद्दाख में पिछले दो साल में जिस तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर बना है उससे भारतीय सेना की क्षमता में तीन गुना का इजाफा हुआ है। भारतीय सेना की इंजीनियर्स कोर्स और बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने कई नई सड़कें और ब्रिज बनाए हैं और सेना की सभी कंपनी पोस्ट को भी ट्रैक से जोड़ा है। भारतीय सेना के एक अधिकारी के मुताबिक ईस्टर्न लद्दाख में जिस रफ्तार से कनेक्टिविटी बढ़ी है उससे सेना की आवाजाही का वक्त भी कम हुआ है और ऑपरेशनल कैपेबिलिटी भी बढ़ी है।

हॉट स्प्रिंग एरिया तक पहुंचने में पहले सैनिकों का काफी टाइम लगता था लेकिन नए कंस्ट्रक्शन से अब वह वक्त कम हुआ है। इसी तरह डेमचोक जाने के लिए भी नई सड़क बनी है जिसमें 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सेना की गाड़ियां जा सकती हैं। सेना के अधिकारी के मुताबिक बड़े एक्सेस के अलावा सेना की हम कंपनी पोस्ट तक जाने के लिए भी रास्ते बनाए गए हैं। इंजीनियर्स कोर के पास जबसे नए इक्विपमेंट आए हैं तबसे काम में तेजी आई है। ट्रैक जल्दी बने हैं और ईस्टर्न लद्दाख में कनेक्टिविटी बहुत तेजी से बढ़ी है।

पहले डोकलाम तक जाने का एक ही रास्ता था लेकिन अब वहां पहुंचने के कई एक्सेस बन गए हैं क्योंकि कई रोड और ब्रिज पर काम पूरा हुआ है। भारतीय सेना के अधिकारी के मुताबिक डोकलाम में जरूरत पड़ने पर सैनिक जल्दी बहुत सकें और रिएक्शन क्षमता बढ़े इसके लिए जो भी जरूरी था वह सब किया गया है। ब्रिज बने हैं साथ ही फीडर रोड भी बनाई गई हैं।

2026 तक मनाली से जंसकार वैली और वेस्टर्न लद्दाख को एक वैकल्पिक कनेक्टिविटी भी हो जाएगी । यहां 298 किलोमीटर की रोड पर काम हो रहा है। इसमें 4.1 किलोमीटर की टनल भी शामिल है। इस रोड पर करीब 65 पर्सेंट काम हो गया है। इससे लेह तक साल भर बिना किसी रुकावट के आवाजाही बनी रहेगी। अभी मनाली से लेह तक जाने के लिए 477 किलोमीटर की मनाली-लेह रोड है जो 13500 फीट की ऊंचाई पर है।

सेना के अधिकारी के मुताबिक पहले डीएस-डीबीओ को जाने में तीन दिन लगते थे, अब लेह से डीबीओ 6 घंटे में पहुंच सकते हैं। 250 किलोमीटर की दूरी 6 घंटे में पूरी हो जाती है। साथ ही डीएस-डीबीओ रोड पर भी जो ब्रिज बनाए गए हैं उन्हें अपग्रेड किया जा रहा है। ये ब्रिज क्लास-18 के हैं जिन्हें क्लास-70 में अपग्रेड किया जा रहा है। जिनसे भारी टैंक और सैन्य साजोसामान गुजर सकेगा। दो साल के भीतर सभी ब्रिज का अपग्रेडेशन पूरा होने के उम्मीद है। बॉर्डर एरिया में कई एयरफील्ड भी बनाए हैं। एलएसी के पास भी तेजी से काम हुआ है। बीआरओ ने 19 एयरफील्ड बनाए हैं और पश्चिम बंगाल में दो एयरफील्ड बराकपोर और बागडोगरा में पूरे होने वाले हैं। बीआरओ जल्दी ही ईस्टर्न लद्दाख के नियोमा में भी एयरफील्ड पर काम शुरू करेगा।



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