पहले डोकलाम तक जाने का एक ही रास्ता था लेकिन अब वहां पहुंचने के कई एक्सेस बन गए हैं क्योंकि कई रोड और ब्रिज पर काम पूरा हुआ है। भारतीय सेना के अधिकारी के मुताबिक डोकलाम में जरूरत पड़ने पर सैनिक जल्दी बहुत सकें और रिएक्शन क्षमता बढ़े इसके लिए जो भी जरूरी था वह सब किया गया है। ब्रिज बने हैं साथ ही फीडर रोड भी बनाई गई हैं।
2026 तक मनाली से जंसकार वैली और वेस्टर्न लद्दाख को एक वैकल्पिक कनेक्टिविटी भी हो जाएगी । यहां 298 किलोमीटर की रोड पर काम हो रहा है। इसमें 4.1 किलोमीटर की टनल भी शामिल है। इस रोड पर करीब 65 पर्सेंट काम हो गया है। इससे लेह तक साल भर बिना किसी रुकावट के आवाजाही बनी रहेगी। अभी मनाली से लेह तक जाने के लिए 477 किलोमीटर की मनाली-लेह रोड है जो 13500 फीट की ऊंचाई पर है।
सेना के अधिकारी के मुताबिक पहले डीएस-डीबीओ को जाने में तीन दिन लगते थे, अब लेह से डीबीओ 6 घंटे में पहुंच सकते हैं। 250 किलोमीटर की दूरी 6 घंटे में पूरी हो जाती है। साथ ही डीएस-डीबीओ रोड पर भी जो ब्रिज बनाए गए हैं उन्हें अपग्रेड किया जा रहा है। ये ब्रिज क्लास-18 के हैं जिन्हें क्लास-70 में अपग्रेड किया जा रहा है। जिनसे भारी टैंक और सैन्य साजोसामान गुजर सकेगा। दो साल के भीतर सभी ब्रिज का अपग्रेडेशन पूरा होने के उम्मीद है। बॉर्डर एरिया में कई एयरफील्ड भी बनाए हैं। एलएसी के पास भी तेजी से काम हुआ है। बीआरओ ने 19 एयरफील्ड बनाए हैं और पश्चिम बंगाल में दो एयरफील्ड बराकपोर और बागडोगरा में पूरे होने वाले हैं। बीआरओ जल्दी ही ईस्टर्न लद्दाख के नियोमा में भी एयरफील्ड पर काम शुरू करेगा।