असेसमेंट नियमों में किया था बदलाव
1968 में मोरारजी देसाई ने एक्साइज डिपार्टमेंट की ओर से असेसमेंट के नियमों को बदला था। इसे लेकर मैन्यूफैक्चरर्स से काफी शिकायतें मिल रही थीं। उन्होंने सेल्फ असेसमेंट की व्यवस्था शुरू की थी। इसके जरिये मैन्यूफैक्चरर्स पर भरोसा जताया गया था।
बजट 1968 में वित्त वर्ष के लिए देसाई ने 3,132 करोड़ रुपये की कमाई का अनुमान जताया था। एक्साइज ड्यूटी के कारण 86 करोड़ रुपये की संभावित बढ़ोतरी के आधार पर यह एस्टिमेट किया गया था। उन्होंने भरोसा जताया था कि सरकार रेवेन्यू रिसीप्ट के इस लक्ष्य को हासिल करेगी।
‘स्पाउस अलाउंस’ किया था खत्म
देसाई ने तब ‘स्पाउस अलाउंस’ को वापस लिया था। उन्होंने कहा था कि ऐसी स्थिति में जब पति और पत्नी दोनों टैक्सपेयर हैं तो यह उचित नहीं होगा कि कोई बाहरी तय करे कि कौन किस पर निर्भर है।
देसाई बजट घाटे के पक्ष में नहीं रहते थे। हालांकि, उन्होंने अनुमान जताया था कि वित्त वर्ष 1968-69 के दौरान 300 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा रह सकता है। राज्यों के 113 करोड़ रुपये के ओवरड्राफ्ट को उन्होंने इसका कारण बताया था।
तत्कालीन वित्त मंत्री ने शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेंस को गेंस के तौर क्लासिफाई करके लोगों को राहत दी थी। किसी कैपिटल एसेट को खरीदने के 24 महीने के भीतर उसे बेचने पर इस तरह के गेन को तब शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेंस कहते थे।