दिवालिया होने से बचने के लिए पाकिस्तान के लिए आईएमएफ का कर्ज बेहद जरूरी है। आईएमएफ का डेलिगेशन 10 दिन के दौरे पर पाकिस्तान आया था लेकिन वह लोन रिलीज किए बिना ही वॉशिंगटन लौट गया। पाकिस्तान के फाइनेंस मिनिस्टर इशाक डार (Ishaq Dar) का कहना है कि रूटीन प्रॉसीडर्स के कारण पाकिस्तान को पैसा मिलने में देरी हुई है। पाकिस्तान ने इस लोन को पाने के लिए आईएमएफ की सारी शर्तें मान ली है। पाकिस्तान ने 2019 में छह अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के लिए साइन किया था। एक साल बाद इसमें एक अरब डॉलर और जोड़ा गया। 1.1 अरब डॉलर की पहली किस्त दिसंबर से रुकी हुई है।
कैसे होगी 170 अरब रुपये की वसूली
आईएमएफ की शर्तों के मुताबिक पाकिस्तान को देश में नए टैक्सों से 170 अरब रुपये की उगाही करनी है। फॉरेन करेंसी के एक्सचेंज रेट को मार्केट के हिसाब से तय किया जाएगा। इससे डॉलर की कीमत और ऊपर जाने की आशंका है। एक मार्च और एक अप्रैल से डीजल पर टैक्स पांच रुपये प्रति लीटर बढ़ाया जाएगा। इससे पेट्रोल-डीजल की कीमत और बढ़ जाएगी। साथ ही बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी भी कम की जाएगी। इन उपायों से आने वाले दिनों में लोगों की मुश्किलें बढ़ना तय है। जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान के लिए आईएमएफ की शर्तों को मानना कोई बड़ी बात नहीं है। साल 1958 से पाकिस्तान 20 से ज्यादा बार ऐसा कर चुका है।
भारत में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने एक फरवरी को वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश किया। यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी फुल बजट था। इसमें वित्त मंत्री ने टैक्स स्लैब में बड़े बदलाव की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सात लाख रुपये तक की सालाना कमाई तक कोई टैक्स नहीं देना होगा। 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिला दें तो यह 7.5 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री होगी। साथ ही तीन करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली माइक्रो इंडस्ट्री को भी टैक्स में राहत दी गई है। इसके अलावा महंगाई को काबू में करने के लिए भी कई उपाय किए गए हैं।