चाबहार परियोजना भारत के लिए रणनीतिक तौर पर एक महत्वपूर्ण परियोजना रही है जिसके तहत भारत, ईरान और अफगानिस्तान के साथ मिलकर एक अंतरराष्ट्रीय यातायात मार्ग स्थापित करना चाहता है।
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oi-Sanjay Kumar Jha


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चीन का मालवाहक जहाज पहली बार सामान लेकर सीधे ईरान के चाबहार बंदरगाह पहुंचा है। यह वही बंदरगाह है जहां भारत ने अरबों डॉलर का निवेश किया है। बीते साल ही भारत ने चाबहरा बंदरगाह को विकसित करने के लिए 6 क्रेन की सप्लाई की थी। हालांकि ईरान ने इसे नाकाफी बताया था। चाबहार परियोजना भारत के लिए रणनीतिक तौर पर एक महत्वपूर्ण परियोजना रही है जिसके तहत भारत, ईरान और अफगानिस्तान के साथ मिलकर एक अंतरराष्ट्रीय यातायात मार्ग स्थापित करना चाहता है।
पहली बार उतरा चाइनीज सामान
इसके साथ ही भारत चाहता है कि इसके रास्ते वह मध्य एशिया तक पहुंचे।तस्नीम समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिणी ईरान में स्थित चाबहार बंदरगाह पर पहली बार चीन का मालवाहक जहाज पहुंचा है। चाबहार मुक्त क्षेत्र संगठन के प्रबंध निदेशक अमीर मोकद्दम ने इसकी पुष्टि की है। मोकद्दम के मुताबिक यह पहली बार है जब सीधे तौर पर कोई चीनी जहाज इस बंदरगाह पर उतरा है। रिपोर्ट के मुताबिक चीनी जहाजों को बंदरगाह पर शनिवार को उतारा गया। इससे पहले तक चीनी जहाज सामान लेकर ईरान के बंदर अब्बास पोर्ट तक जाते थे और वहां से सामानों को छोटे-छोटे जहाजों में लादकर चाबहार तक पहुंचाया जाता था।
10 दिन पहले हो जाएगी डिलिवरी
मुकद्दम ने कहा कि इस जहाज की क्षमता 6500 कंटेनर की है। उन्होंने कहा कि इस जहाज को चाबहार में उतारे जाने से लोडिंग का खर्च में भी कमी आएगी। अधिकारी ने कहा कि एक मोटामाटी अनुमान लगाया जाए तो प्रति कंटेनर खर्च 400 डॉलर तक की बचत होगी। इतना ही नहीं चाबहार बंदरगाह के द्वारा सामान की डिलीवरी करने पर कम से कम 10 दिन पहले इसकी डिलीवरी हो पाएगी। मुकद्दम ने कहा कि अब व्यापारी आगे से कोई भी सामान चीन से सीधे चाबहार बंदरगाह तक आसानी से और कम दाम में मंगा सकते हैं।
राजनीतिक और आर्थिक महत्व रखता है चाबहार
ओमान की खाड़ी पर ईरान के एकमात्र समुद्री बंदरगाह के रूप में, चाबहार बंदरगाह राजनीतिक और आर्थिक रूप से देश के लिए बहुत महत्व रखता है। देश के समुद्री व्यापार में सुधार के लिए देश ने इस बंदरगाह को विकसित करने के लिए गंभीर उपाय किए हैं। ईरान इस बंदरगाह के विकास में भाग लेने और क्षेत्र में व्यापार केंद्र के रूप में अपनी विशिष्ट स्थिति से लाभ उठाने के लिए दुनिया भर के निवेशकों का स्वागत करता रहा है।
भारत ने किया करोड़ों डॉलर का निवेश
आपको बता दें कि चाबहार में दो पोर्ट हैं। पहला शाहिद कलंतरी और दूसरा शाहिद बहिश्ती। इन दोनों में पांच-पांच बर्थ हैं। शिपिंग मिनिस्ट्री की प्रोजेक्ट इनवेस्टमेंट इकाई इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल ने यहां दो कंटेनर बर्थ डिवेलप करने के लिए जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट और गुजरात के कांडला पोर्ट ट्रस्ट के साथ संयुक्त उद्यम बनाया है। इस पर करोड़ों डॉलर का निवेश किया गया है। यह बंदरगाह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है और पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत से लगभग 120 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में है, जहां चीन द्वारा वित्त पोषित ग्वादर बंदरगाह स्थित है।
2016 में पीएम मोदी ने किया समझौता
मई 2016 नरेंद्र मोदी ने ईरान दौरा किया था। इस दौरे में पीएम मोदी ने भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच एक त्रिपक्षीय संबंध के लिए ईरान में चाबहार पोर्ट को विकसित और ऑपरेट करने के लिए 55 करोड़ डॉलर लगाने का ऐलान किया था। ईरान के साथ इस समझौते के आधार पर, भारत चाबहार में शहीद बहिश्ती पोर्ट में मोबाइल हार्बर क्रेन सहित आधुनिक लोडिंग और अनलोडिंग उपकरण स्थापित और संचालित करने जा रहा है। भारत चाबहार के रास्ते ही अभी रूस से बड़े पैमाने पर व्यापार शुरू करने जा रहा है। पिछले दिनों पहली बार रूस से ईरान के रास्ते सामान भारत के मुंबई बंदरगाह पहुंचा था। इस पूरे कॉरिडोर को इंटरनैशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर नाम दिया गया है।
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English summary
first container ship departing from China docked at Chabahar port iran