नियोगी देश के दूसरे वित्त मंत्री थे। उन्होंने आरके शणमुखम शेट्टी की जगह ली थी। यह और बात है कि नियोगी ने सिर्फ 35 दिन बाद ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में उनके पास बजट पेश करने का मौका आया ही नहीं। वह पहले वित्त आयोग के चेयरमैन थे। 1888 में जन्मे नियोगी संविधान सभा के भी सदस्य थे। वह नेहरू की पहली कैबिनेट के सदस्य भी थे। 1948 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया था।
हेमवती नंदन बहुगुणा को भी नहीं मिला बजट पेश करने का मौका
हेमवती नंदन बहुगुणा का नाम भी उन वित्त मंत्रियों में शामिल है जो वित्त मंत्री तो बने लेकिन यूनियन बजट पेश नहीं किया। इस बार भी छोटा कार्यकाल कारण रहा। बहुगुणा 1979 में तत्कालीन इंदिरा सरकार में साढ़े पांच महीने की अवधि के लिए वित्त मंत्री बने थे। इस अवधि में बजट नहीं पड़ा। वह बिना बजट पेश किए ही पद से हट गए थे। हेमवती नंदन बहुगुणा दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
नारायण दत्त तिवारी की जगह राजीव ने पेश किया था बजट
वित्त मंत्री बनने के बावजूद आम बजट न पेश कर पाने वालों की लिस्ट में नारायण दत्त तिवारी का भी नाम आता है। एनडी तिवारी अपने जमाने के दिग्गज नेता थे। तीन बार वह उत्तर प्रदेश के सीएम बने। वह उत्तराखंड के तीसरे मुख्यमंत्री थे। तिवारी आंध्रप्रदेश के राज्यपाल भी रहे। 1987-88 में नारायण दत्त तिवारी वित्त मंत्री बने थे। तब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। उस समय नारायण दत्त तिवारी की जगह तत्कालीन प्रधानमंत्री ने बजट पेश किया था।