नाकामयाब
हो
गई
सरकार
पाकिस्तानी
अखबार
डॉन
की
एक
रिपोर्ट
अनुसार,
पाकिस्तान
के
प्रधानमंत्री
इमरान
खान
ने
गुरुवार
को
स्वीकार
किया
है
कि,
उनकी
सरकार
प्रशासन
और
नौकरशाही
में
“दोषों”
के
कारण
“परिवर्तन”
लाने
में
कामयाब
नहीं
हो
पाई।
यानि,
इमरान
खान
ने
अपनी
सरकार
की
नाकामयाबी
के
लिए
देश
के
ब्यूरोक्रेट्स
के
माथे
पर
ठीकरा
फोड़
दिया
है।
एक
सरकारी
कार्यक्रम
में
बोलते
हुए
इमरान
खान
ने
कहा
कि,
वह
शुरुआत
में
“क्रांतिकारी
परिवर्तन”
लाना
चाहते
थे,
लेकिन
वह
ऐसा
नहीं
कर
सके,
क्योंकि
“सिस्टम
सदमे
को
अवशोषित
करने
में
असमर्थ
था।”
‘परिणाम
देने
में
सक्षम
नहीं
सरकार’
पाकिस्तानी
प्रधानमत्री
इमरान
खान
ने
कार्यक्रम
में
बोलते
हुए
स्वीकार
किया
है
कि,
”उनकी
सरकार
और
मंत्रालय,
वैसे
परिणाम
देने
में
सक्षम
नहीं
है,
जिस
तरह
के
परिणाम
की
उम्मीद
जनता
उनसे
कर
रही
है
और
फिर
जिस
तरह
का
परिणाम
उन्होंने
जनता
से
करने
का
वादा
किया
था।
पाकिस्तानी
अखबार
डॉन
ने
इमरान
खान
के
हवाले
से
कहा
कि,
“सबसे
बड़ी
समस्या
यह
है
कि
सरकार
और
देश
के
हित
के
बीच
कोई
संबंध
नहीं
है।”
क्रिकेटर
से
नेता
बने
इमरान
खान
एक
तरह
अपनी
सरकार
की
नाकामयाबियों
का
जिक्र
कर
रहे
थे,
वहीं
दूसरी
तरफ
इमरान
खान
अपन
10
सर्वश्रेष्ठ
प्रदर्शन
करने
वाले
मंत्रालयों
और
संबंधित
मंत्रियों
को
अवार्ड
भी
दे
रहे
थे।
इमरान
खान
ने
पाकिस्तान
के
आंतरिक
मंत्री
शेख
रशीद
को
भी
अवार्ड
दिया
है।
2018
में
बनी
थी
इमरान
खान
की
सरकार
इमरान
खान
साल
2018
में
पाकिस्तान
के
प्रधानमंत्री
बने
थे
और
सरकार
में
आने
से
पहले
उन्होंने
पाकिस्तानी
अवाम
से
सैकड़ों
बड़े
बड़े
वादे
किए
थे
और
नया
पाकिस्तान
बनाने
का
वादा
किया
था।
लेकिन,
सरकार
बनने
के
बाद
इमरान
खान
एक
भी
वादा
पूरा
नहीं
कर
पाए
और
इमरान
खान
सरकार
पर
विदेश
नीति
पूरी
तरह
से
फ्लॉप
करने
के
भी
आरोप
लगे
हैं।
वहीं,
तालिबान
का
खुला
साथ
देकर
इमरान
खान
ने
पहले
ही
यूरोप
और
अमेरिका
के
साथ
पाकिस्तान
के
संबंधों
को
खराब
कर
चुके
हैं।
वहीं,
ईंधन
और
बिजली
की
बढ़ती
कीमतों
ने
इमरान
खान
की
सरकार
पर
दबाव
काफी
बढ़ा
दिया
है।
चुनावों
के
समय,
उनकी
सरकार
को
बड़े
भ्रष्टाचार
और
नौकरशाही
के
मुद्दों
से
प्रभावित
प्रणाली
के
विकल्प
के
रूप
में
देखा
गया
था।
लेकिन,
अब
जबकि
इमरान
खान
की
सरकार
के
चार
साल
पूरे
हो
रहे
हैं,
वो
ना
तो
भ्रष्टाचार
ही
खत्म
कर
पाए
और
ना
ही
पाकिस्तान
को
‘रियासत-ए-मदीना’
ही
बना
पाए।
पाकिस्तान
में
काफी
ज्यादा
महंगाई
इमरान
खान
ने
सरकार
बनाने
से
पहले
आईएमएफ
से
लोन
लेने
वाले
पूर्व
प्रधानमंत्रियों
पर
जमकर
निशानवा
साधा
था,
लेकिन
सरकार
बनाने
के
बाद
इमरान
खान
खुद
आईएमएफ
से
लोन
लेने
के
लिए
नाक
रगड़
रहे
हैं।
वहीं,
पाकिस्कान
में
उपभोक्ता
मूल्य
सूचकांक
(सीपीआई)
बढ़कर
13%
हो
चुका
है,
जो
काफी
ज्यादा
है।
वहीं,
पाकिस्तान
में
दिसंबर
में
महंगाई
का
आंकड़ा
12.3
फीसदी
था।
वहीं,
पाकिस्तान
में
बिजली
दर
13
रुपये
प्रति
यूनिट
से
ज्यादा
है
और
महंगाई
रोकने
में
पूरी
तरह
से
नाकामयाब
रहने
की
वजह
से
इमरान
खान
की
काफी
आलोचना
भी
होती
है।