1997 में हुआ का अपहरण
आज दुनिया के दौलतमंदों की रेस में शामिल गौतम अडानी के साथ दो ऐसे वाकये गुजरे हैं जिनमें उनकी जान खतरे में पड़ गई थी। पहला वाकया है उनकी किडनैपिंग का। तब उनका फिरौती के लिए अपहरण हुआ था। बात 1997 की है। अडानी को किडनैप कर लिया गया था। उन्हें छोड़ने के बदले में 15 लाख डॉलर यानी करीब 11 करोड़ रुपये की फिरौती की मांग की गई। पुलिस ने इस मामले में एक जनवरी 1998 को चार्जशीट फाइल की थी। अडानी के साथ शांतिलाल पटेल को भी बंदूक की नोंक पर अगवा किया गया था। दोनों कर्णावती क्लब से निकल कर अपनी कार से मोहम्मदपुरा रोड की ओर निकले थे। रास्ते में एक स्कूटर ने जबरन उनकी गाड़ी रुकवा ली थी। फिर बहुत से लोग एक वैन से आए और दोनों को किडनैप कर लिया। उन्हें किसी अनजान जगह पर ले जाया गया था। कहा जाता है कि अडानी के अपहरण के पीछे अंडरवर्ल्ड डॉन फजल उर रहमान उर्फ फजलू रहमान का हाथ था।
मुंबई हमले में बाल-बाल बचे
दूसरा बड़ा वाकया जब अडानी की जिंदगी पर खतरा मंडराया वह था 2008 में। तब मुंबई के होटल ताज पर आतंकी हमला हुआ था। 26 नवंबर 2008 को जिस वक्त यह हमला हुआ था अडानी ताज होटल में डिनर करने गए थे। आतंकियों ने इस हमले में 160 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। हालांकि, अडानी बचने में कामयाब रहे थे। अडानी उस दिन वैदर क्राफ्ट रेस्टोरेंट में दुबई पोर्ट के सीईओ मोहम्मद शराफ के साथ खाना खा रहे थे। तभी उन्होंने आतंकियों को होटल में घुसते और गोलियां चलाते देखा। वे बम भी फेंक रहे थे। अडानी ऊंचाई पर बैठे थे, इसलिए वह साफ देख पा रहे थे। आतंकी स्वीमिंग पूल और लिफ्ट की तरफ लगातार गोलियां चला रहे थे। कुछ ही पलों में होटल स्टाफ ने मेहमानों की मदद की ताकि वे बेसमेंट में जा सकें। बेसमेंट में बहुत अधिक घुटन होने लगी तो उन्हें ताज चैंबर में ले जाया गया जो एक फ्लोर ऊपर था।
अडानी ने बताया था कि उनके साथ करीब 100 लोग थे। सभी जिंदगी के लिए दुआ मांग रहे थे। कुछ लोग सोफे के नीचे छुपे थे। कई इधर उधर। उसी वक्त अडानी अहमदाबाद में अपने परिवार से भी बात कर रहे थे। वह अपने ड्राइवर और कमांडो से भी बात कर रहे थे, जो होटल के बाहर कार में थे। 26 नवंबर की पूरी रात अडानी ने बेसमेंट में गुजारी थी। अगले दिन गुरुवार को सुबह सुरक्षा बलों ने करीब 8.45 बजे उन्हें बाहर निकाला था। 27 नवंबर को अपने प्राइवेट एयरक्राफ्ट से अहमदाबाद एयरपोर्ट पर लैंड करने के बाद उन्होंने कहा था, ‘मैंने 15 फीट की दूरी से मौत को देखा।’