पिता चाहते थे IAS बनाना, बेटे ने खोल ली चाय की दुकान, खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी


नई दिल्ली: चाय सुट्टा बार (Chai Sutta Bar) का नाम सुनकर आपके दिमाग में कुछ और तस्वीर बने उससे पहले ही हम बता दें कि ये ना तो कोई बार (Bar) है, जहां शराब परोसी जाती है और ना ही सिगरेट की दुकान। ये तो बस एक चाय की दुकान या कहे कि चाय का कैफे है। जितना दिलचस्प इसका नाम है उतनी ही इंटरेस्टिंग इसकी कहानी है। जिस उम्र में लोग अपना टाइम खेलने और घूमने में गंवा देते हैं, उस उम्र में दो दोस्तों ने मिलकर कंपनी खड़ी कर दी। 22-23 साल के दो दोस्तों ने मिलकर 150 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनी खड़ी कर दी।

​कैसे हुई चाय सुट्टा बार की शुरुआत

​कैसे हुई चाय सुट्टा बार की शुरुआत

कहानी की शुरुआत साल 2016 में हुई। अनुभव दुबे और आनंद दोनों बचपन के दोस्त थे। दोनों ने बीकॉम की पढ़ाई की थी। दोनों एक ही शहर, इंदौर के रहने वाले हैं। अनुभव के पिता एक बिजनेसमैन थे। लेकिन, वह नहीं चाहते थे कि उनका बेटा भी बिजनेस का हिस्सा बने। इसलिए उसे यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली भेज दिया। सीए की परीक्षा में असफल होने के बाद उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। लेकिन, उन्हें इस बात का अहसास हो गया था कि वो नौकरी के लिए नहीं बल्कि कारोबार के लिए बने हैं।

गर्ल्स हॉस्टल के सामने खोला पहला आउटलेट

गर्ल्स हॉस्टल के सामने खोला पहला आउटलेट

अनुभव समझ चुके थे कि वो बिजनेस करने के लिए ही बने हैं। उन्होंने अब इस बारे में सर्च करना शुरू कर दिया कि वो किस पर काम करें। इसी दौरान उनकी मुलाकात आनंद नायक से हुई। दोनों के पास फंड तो बहुत था नहीं। किसी तरह से जोड़कर 3 लाख रुपये हुए थे। इतने फंड में कौन सा बिजनेस शुरू होता, इसलिए ऑप्शन खोजने लगे। उनकी तलाश चाय पर आकर खत्म हुई। दोनों ने गर्ल्स हॉस्टल के सामने अपना पहला चाय का आउटलेट खोला। गर्ल्ड हॉस्टल के सामने लड़कों का आना तो तय था और यही उनके ग्राहक बनते। इसलिए उन्होंने गर्ल्ड हॉस्टल को अपना पहला टारगेट बनाया। पहली दुकान वहीं खोली।

​नाम के साथ छिपा राज

​नाम के साथ छिपा राज

अनुभव ने कहा कि उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि अपनी दुकान के लिए बोर्ड तक बना सके। इसलिए उन्होंने लकड़ी के फट्टे पर स्प्रे से लिख दिया। वो चाहते थे कि नाम ऐसा हो कि लोग पढ़कर एक बार जरूर आएं। उन्होंने कहा कि ये नाम उन्होंने मार्केटिंग एप्रोच के साथ रखी। चाय सुट्टा बार नाम में भले ही सुट्टा हो, लेकिन इस कंपनी के सारे आउटलेट्स में सुट्टा पीना, स्मोकिंग करना बैन है। नाम में सुट्टा इसलिए रखा गया ताकि लोगों की जुबान पर आसानी से आ जाए।

​अतरंगी आइडिया , लेकिन सक्सेसफुल

​अतरंगी आइडिया , लेकिन सक्सेसफुल

दुकान पर लोगों की भीड़ दिखाने के लिए अपने दोस्तों को बुलाते थे। दूसरे के सामने जोर-जोर से बातें करते थे कि चाय सुट्टा बार गए हो? अच्छा कैफे है। ताकि, लोगों तक उनके कैफे का नाम पहुंच सके। अनुभव दुकान पर भीड़ दिखाने के लिए फर्जी भीड़ इकट्ठा करते थे। दोस्तों को बुलाकर वहां आवाजाही दिखाते थे, ताकि भीड़ देखकर लोग धीरे-धीरे उनकी दुकान पर आएं। उनका ये आइडिया काम करने लगा। लोगों की भीड़ वहां बढ़ने लगी। 6 महीने के भीतर ही उन्होंने 2 राज्यों में चाय सुट्टा बार की 4 फ्रेंचाइजी बेच दी।

​195 शहरों में 400 आउटलेट

195-400-

अनुभव ने अपने दोस्त के साथ मिलकर आज देश के 195 शहरों में 400 से ज्यादा आउटलेट खोल दिए। देश ही नहीं दुबई, यूके, कनाडा एवं ओमान जैसे देशों तक चाय सुट्टा बार पहुंच चुका है। आज उनकी कंपनी हर साल 100-150 करोड़ रुपये की चाय बेच देती है। सिर्फ अपने आउटलेट से उनका टर्नओवर सालाना 30 करोड़ रुपये का है। अगर सारे स्टोर्स और आउटलेट्स को मिला दें तो टर्नओवर 150 करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है।



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