Explainer : कंपनी बनाने, FSSAI लाइसेंस या GST नंबर में आ रही समस्या? यहां जानिए इन सब की पूरी ABCD


नई दिल्ली : स्टार्टअप चाहे छोटा हो या बड़ा, कानूनी औपचारिकताएं पूरी करके शुरू किया जाए तो किसी भी तरह की कानूनी परेशानी से बच सकते हैं। साथ ही अपनी फर्म या कंपनी के कर्मचारियों से जुड़े नियमों के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। कोई भी स्टार्टअप शुरू करते समय कई तरह की कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। इसमें रजिस्ट्रेशन से लेकर लाइसेंस/सर्टिफिकेट लेना आदि तक शामिल हैं। साथ ही फर्म या कंपनी में काम कर रहे एम्प्लॉई के कानूनी हकों के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। अगर कानूनी औपचारिकताएं पूरी न की जाएं तो बिजनेस शुरू होने से पहले ही बंद हो सकता है और अगर शुरू कर भी दिया तो बाद में बुरी तरह फंस सकते हैं। हो सकता है कि आपको जुर्माना देना पड़े या जेल हो जाए। इसलिए कोई भी बिजनेस शुरू करने से पहले न केवल कानूनी औपचारिकताओं के बारे में जान लेना चाहिए बल्कि इन्हें पूरा भी करना चाहिए। कानूनी औपचारिकताओं के बारे में एक्सपर्ट्स से जानकारी लेकर बता रहे हैं राजेश भारती।

किस तरह की फर्म के लिए कौन-से डॉक्यूमेंट्स जरूरी

किसी भी बिजनेस को शुरू करने से पहले फर्म या कंपनी बनानी जरूरी होता है। वहीं काफी लोग ऐसे भी हैं जो किराना या किसी दूसरी चीज की दुकान खोलकर अपना बिजनेस शुरू करते हैं। जानें, किस तरह के कारोबार के रजिस्ट्रेशन के लिए किन-किन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ेगी:

1. Sole Proprietorship
अगर आप चाहते हैं कि कोई ऐसी फर्म बनाकर बिजनेस करें जिसके मालिक सिर्फ आप ही हों तो Sole Proprietorship बनाकर बिजनेस शुरू किया जा सकता है। वैसे तो Sole Proprietorship बनाने के लिए किसी भी प्रकार के रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं होती। आप सीधे बिजनेस शुरू कर सकते हैं। हालांकि कुछ मामलों में कुछ औपचारिकताएं जरूर पूरी करनी पड़ती हैं। अगर आप किसी भी प्रकार की दुकान खोलना चाहते हैं तो संबंधित शहर की नगर पालिका या नगर निगम की ओर से ट्रेड लाइसेंस लेना होगा। इसके लिए इन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है:
– PAN कार्ड
– आधार कार्ड या वोटर आईडी कार्ड
– दुकान की जगह खुद की है तो प्रॉपर्टी के पेपर और अगर किराए की है तो रेंट एग्रीमेंट, दुकान के मालिक का बिजली का बिल और दुकान के मालिक की ओर से जारी NOC (अनापत्ति प्रमाणपत्र)।
– कुछ मामलों में GST नंबर की भी जरूरत पड़ती है। (ब्योरा आगे है)
कितना समय: अधिकतम 15 दिन
खर्चा: 100 से 1000 रुपये

2. General Partnership
अगर आप किसी दूसरे के साथ मिलकर स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं तो इसके लिए General Partnership फर्म बना सकते हैं। यह एक तरह की फर्म होती है जिसमें कम से कम दो और ज्यादा से ज्यादा 20 शख्स मिलकर बिजनेस शुरू करते हैं। General Partnership फर्म बनाने के लिए इन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होती है:
– सभी पार्टनर के PAN और आधार कार्ड
– सभी पार्टनर के बीच में पार्टनरशिप डीड या पार्टनरशिप एग्रीमेंट होता है जिसमें साफ-साफ लिखा होता है कि पार्टनर्स के आपसी हक और जिम्मेदारियों क्या होंगी और उनकी क्या-क्या भूमिका होगी। यह डीड 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर बनवाई जा सकती है। बाद में इसे संबंधित राज्य के Registrar of Firms & Societies में रजिस्टर करा सकते हैं।
कितना समय: अधिकतम 15 दिन
खर्चा: 1100 रुपये (स्टाम्प डूयूटी और कुछ दूसरे खर्चे अलग)

3. Limited Liability Partnership
Limited Liability Partnership (LLP) के तहत दो या दो से ज्यादा पार्टनर एक स्पेशल एग्रीमेंट बनाते हैं और उनकी सीमित जिम्मेदारियां होती हैं। LLP को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) के नियमों के अनुसार रजिस्टर कराया जाता है। LLP बनाने के लिए इन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होती है:
– सभी पार्टनर को DIN (Director Identification Number) और DSC (Digital Signature Certificate) लेना पड़ता है।
– General Partnership की तरह इसमें भी पार्टनरशिप डीड या पार्टनरशिप एग्रीमेंट होता है जिसमें साफ-साफ लिखा होता है कि पार्टनर्स के बीच के हक और जिम्मेदारियों क्या होंगी और उनकी क्या-क्या भूमिका होगी।
– पार्टनर्स का PAN कार्ड
– आधार कार्ड या वोटर आईडी कार्ड या पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस
– ऑफिस की जगह खुद की है तो प्रॉपर्टी के पेपर और अगर किराए की है तो रेंट एग्रीमेंट, दुकान के मालिक का बिजली का बिल और दुकान के मालिक की ओर से जारी NOC (अनापत्ति प्रमाणपत्र)।
कितना समय: अधिकतम 10 दिन
खर्चा: 1000 रुपये तक

4. Private Limited Company
अगर आप बैंक से लोन लेकर कारोबार शुरू करना चाहते हैं तो आपको Private Limited Company बनानी होगी। इसमें 2 से लेकर 200 मेंबर तक हो सकते हैं। इसके लिए Ministry of Corporate Affairs की ऑफिशल वेबसाइट mca.gov.in पर जाना होगा। कंपनी बनाते समय इन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है:
– PAN कार्ड
– आधार कार्ड या वोटर आईडी या ड्राइविंग लाइसेंस
– घर के पते का सर्टिफिकेट
– जहां ऑफिस है उस जगह के पते का सर्टिफिकेट।
– अगर कंपनी का ऑफिस किराए पर है तो रेंट एग्रीमेंट की कॉपी
– बिजली, पानी या गैस आदि का बिल
ये चीजें भी हैं जरूरी
DIN: कंपनी के मालिक या डायरेक्टर को DIN (Direct Identification Number) लेना जरूरी होता है।
DSC: प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के हस्ताक्षर को DSC (Digital Signature Certificate) कहा जाता है।
कितना समय: अधिकतम 10 दिन
खर्चा: 2500-3000 रुपये
नोट: यहां जो डॉक्यूमेंट बताए गए हैं, इनके अलावा और भी डॉक्यूमेंट हो सकते हैं। फर्म या कंपनी रजिस्टर होने में लगने वाले समय और खर्चे में फर्क मुमकिन।

खाने-पीने का कारोबार तो FSSAI में रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस जरूरी

FSSAI का पूरा नाम Food Safety and Standards Authority of India है। अगर आपका बिजनेस खाने-पीने की चीजों से जुड़ा है तो आपको FSSAI में रजिस्ट्रेशन करवाकर लाइसेंस लेना होता है। FSSAI इस बात की जांच करता है कि खाने-पीने की चीजों की क्वॉलिटी कैसी है। क्वॉलिटी सही होने पर ही उसे बेचने की अनुमति मिलती है यानी लाइसेंस दिया जाता है। FSSAI की टीम समय-समय पर खाने-पीने की चीजें बेचने वालों के सामान की क्वॉलिटी चेक करती है। अगर क्वॉलिटी खराब निकलती है तो न केवल लाइसेंस रद्द किया जा सकता है बल्कि उस विक्रेता पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। FSSAI में रजिस्ट्रेशन कराने या लाइसेंस लेने के लिए ऑफिशल वेबसाइट fssai.gov.in पर जाएं। FSSAI में तीन तरह की रजिस्ट्रेशन होता है:

1. बेसिक रजिस्ट्रेशन
ऐसे छोटे बिजनेस या स्टार्टअप जिनका सालाना कारोबार 12 लाख रुपये तक है, उन्हें बेसिक रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। अगर भविष्य में आपका कारोबार बढ़ जाता है तो इस बेसिक रजिस्ट्रेशन की जगह लाइसेंस लेना होगा।
इनके लिए जरूरी- गोलगप्पे का स्टॉल, स्नैक्स स्टॉल, चाय के स्टॉल, समोसे और ब्रेड पकौड़े की दुकान, चाइनीज और साउथ इंडियन फूड स्टॉल आदि।

रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स:
– रजिस्ट्रेशन करवाने वाले शख्स के पते का प्रूफ जैसे- आधार कार्ड या वोटर आईडी कार्ड
– पासपोर्ट साइज फोटो
– कारोबार का नाम और पता
– जहां स्टॉल लगाना है या दुकान शुरू करनी है, उसके मालिक की परमिशन का सबूत
– FSSAI डिक्लेरेशन फॉर्म
– बिजनेस क्या है
कितना समय: 7 से 10 दिन
सालाना फीस: 100 रुपये

2. स्टेट लाइसेंस
जिनका सालाना कारोबार 12 लाख रुपये से 20 करोड़ रुपये के बीच होता है, उन्हें स्टेट लाइसेंस लेना पड़ता है। अगर कारोबार की ब्रांच एक से ज्यादा राज्यों में हैं तो हर राज्य के लिए लाइसेंस लेना होगा।
इनके लिए जरूरी- स्टोरेज यूनिट, ट्रांसपोर्टर्स, रिटेलर्स, रेस्टोरेंट मार्केट, डिस्ट्रिब्यूटर्स आदि।

लाइसेंस के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स:
– कारोबार शुरू करने वाले का पहचान-पत्र (आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट या वोटर आईडी में से कोई एक)
– अगर जगह किराए की है तो रेंट एग्रीमेंट और दुकान मालिक की तरफ से जारी एनओसी
– सरकार की तरफ से जारी फर्म या कंपनी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
– अगर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या पार्टनरशिप फर्म है तो MOA और AOA या पार्टनरशिप डीड की कॉपी
– ट्रेड लाइसेंस, शॉप और इस्टैब्लिशमेंट रजिस्ट्रेशन, पंचायत लाइसेंस, कॉर्पोरेशन लाइसेंस या नगर निगम की ओर से जारी लाइसेंस में से कोई एक
– कारोबार किस चीज से जुड़ा है
अगर आप मैन्युफैक्चरिंग या रीपैकर कैटिगरी के लिए अप्लाई कर रहे हैं तो ये भी डॉक्यूमेंट जरूरी हैं:
– मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के फोटो।
– प्लांट का लेआउट
– कंपनी में लगी मशीनों की जानकारी (कंपनी के लेटरहेड पर)
– प्रोडक्शन डिटेल (कंपनी के लेटरहेड पर)
कितना समय: 30 दिन
सालाना फीस: 3000-5000 रुपये

3. सेंट्रल लाइसेंस
अगर आपका सालाना कारोबार 20 करोड़ रुपये से ज्यादा है और कारोबार की ब्रांच एक से ज्यादा राज्यों में है तो आपको सेंट्रल लाइसेंस लेना होगा। वहीं, अगर कोई शख्स रेलवे, एयरपोर्ट, सीपोर्ट, केंद्र सरकार के ऑफिस आदि में खाने से जुड़ा कोई बिजनेस करना चाहता है तो उसे भी सेंट्रल लाइसेंस की जरूरत होगी।

लाइसेंस के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स
– अगर जगह किराए की है तो रेंट एग्रीमेंट और जगह के मालिक की ओर से जारी एनओसी
– आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट और वोटर आईडी में से कोई एक
– अगर सरकार की तरफ से जारी कोई रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट है तो वह भी चाहिए। जैसे- कंपनी इनकॉरपोरेशन सर्टिफिकेट, फर्म रजिस्ट्रेशन, GST, ट्रेड लाइसेंस, शॉप और इस्टैब्लिशमेंट रजिस्ट्रेशन आदि में से कोई एक
– अगर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या पार्टनरशिप फर्म है तो MOA और AOA या पार्टनरशिप डीड की कॉपी
– अगर इंपोर्ट और एक्सपोर्ट कैटिगरी में बिजनेस है तो IE (Import Export) कोड सर्टिफिकेट
– कंपनी के लेटरहेड पर लिखा अथॉरिटी लेटर जिसमें लिखा हो कि वह FSSAI ऐप्लिकेशन के लिए अथॉराइज्ड है
अगर आप मैन्युफैक्चरिंग कैटिगरी के लिए अप्लाई कर रहे हैं तो ये भी डॉक्यूमेंट्स जरूरी हैं:
– मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के फोटो
– प्लांट का लेआउट और प्रोडक्ट की डिटेल
– कंपनी में प्रोडक्शन में लगी मशीनों की जानकारी (कंपनी के लेटरहेड पर)
– अगर मिनरल वॉटर प्लांट का बिजनेस है तो वॉटर टेस्ट रिपोर्ट भी जरूरी होगी
कितना समय: 30 दिन
सालाना फीस: 7500 रुपये

ट्रेडमार्क देगा अलग पहचान

ट्रेडमार्क किसी भी कंपनी की वह पहचान है जो उसे प्रतिस्पर्धी कंपनियों से अलग खड़ा करती है। किसी भी कंपनी का नाम, प्रोडक्ट का नाम, सर्विस, लोगो, टैग लाइन, विशेष चिह्न, डिजाइन, फोटो आदि ट्रेडमार्क हो सकता है। इसे कोई भी कंपनी या शख्स न तो कॉपी कर सकता है और न ही नकल। यही नहीं, जिसका ट्रेडमार्क लिया है, उससे मिलती-जुलती चीजें भी नहीं बना सकता। हम यह कह सकते हैं कि ट्रेडमार्क एक ब्रैंड है। कोई स्टार्टअप या कंपनी एक से ज्यादा ट्रेडमार्क से प्रोडक्ट या सर्विस दे सकती है। ट्रेडमार्क लेने के लिए ऑफिशल वेबसाइट ipindia.gov.in पर जाएं।
कितना समय: 6 महीने से 2 साल तक
खर्च: 20 से 30 हजार रुपये

पेटंट से रुकेगी नकल

काफी लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने बिजनेस को पेटंट करवाना चाहते हैं। यहां ध्यान रखें कि पेटंट उसी चीज का होता है जिसका या तो आविष्कार किया हो या कोई फॉर्मूला बनाया हो। अगर आप फूड से संबंधित कोई स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं और उसमें जो रेसपी इस्तेमाल करेंगे, वह आपकी खुद की इजाद की हुई हैं तो उनका पेटंट करवा सकते हैं। पेटंट कराई हुई चीज का इस्तेमाल कोई दूसरा शख्स नहीं कर सकता। अगर करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। पेटंट सिर्फ 20 साल तक ही रहता है। भारत में पैटंट के आवेदन के लिए ऑफिशल वेबसाइट ipindia.gov.in पर जाना होगा।
कितना समय: 6 महीने से 2 साल तक
खर्च: 40 हजार रुपये तक

प्रोडक्ट की सेफ्टी और क्वॉलिटी के लिए ISI मार्क जरूरी

अगर आप इलेक्ट्रिक आइटम, हेलमेट, पाइप्स, सीसीटीवी कैमरा, लॉक आदि से जुड़ा स्टार्टअप या बिजनेस शुरू करने जा रहे हैं तो आपको अपने प्रोडक्ट के लिए ISI मार्क लेना जरूरी है। यह एक प्रकार का लाइसेंस है जो बताता है कि आपका प्रोडक्ट न केवल अच्छी क्वॉलिटी का है बल्कि इस्तेमाल के लिहाज से सुरक्षित और मजबूत भी है। दरअसल, ISI एक प्रकार का सर्टिफिकेट है जो BIS (Bureau of Indian Standards) द्वारा दिया जाता है। BIS उस प्रोडक्ट की क्वॉलिटी और सेफ्टी को चेक करती है और सारी चीजें सही होने पर ISI हॉलमार्क जारी कर देती है। यह हॉलमार्क उस प्रोडक्ट पर लगाया जाता है जिसके लिए जारी होता है। ISI मार्क पर 7 डिजिट का एक नंबर होता है जिसे CM/L (Certification of Manufacturing License) के रूप में दर्शाया जाता है। जैसे- CM/L 8739196

इन डॉक्यूमेंट्स की पड़ती है जरूरत

– कंपनी के डायरेक्टर का आधार कार्ड
– बैंक स्टेटमेंट
– टेस्ट रिपोर्ट की कॉपी
– ड्राइविंग लाइसेंस
– इलेक्ट्रिसिटी बिल की कॉपी
– कंपनी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
– प्रोपर्टी टैक्स की रसीद आदि।
खर्चा: ISI मार्क लेने में आने वाला खर्च फिक्स नहीं है। प्रोडक्ट और उसकी जांच में आने वाले खर्चे के अनुसार कुल खर्च लगाया जाता है। हालांकि कुछ चार्ज फिक्स हैं जैसे-
ऐप्लिकेशन फीस: 1000 रुपये
लाइसेंस की सालाना फीस: 1000 रुपये आदि।
वेबसाइट: bis.gov.in
कितना समय: 30 दिन

GST नंबर है बहुत जरूरी

अगर आपके स्टार्टअप या बिजनेस का सालाना कारोबार 40 लाख रुपये (कुछ राज्यों जैसे- अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू एवं कश्मीर आदि में 20 लाख रुपये) से ज्यादा है तो आपको GST नंबर लेना होगा।
अगर आप ई-कॉमर्स वेबसाइट जैसे फ्लिपकार्ट, ऐमजॉन आदि के माध्यम से बिजनेस करना चाहते हैं, तब भी जीएसटी रजिस्ट्रेशन जरूरी है। इनके अलावा ऑनलाइन एडवरटाइजिंग सर्विस, क्लाड सर्विस, ई-बुक, सॉफ्टवेयर आदि भी GST के दायरे में आते हैं। वहीं आप चाहें तो स्वैच्छिक रूप से भी जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। इससे न केवल इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा मिलता है बल्कि बिना रोकटोक के एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान भेज सकते हैं। GST रजिस्ट्रेशन के लिए ये डॉक्यूमेंट्स जरूरी हैं:
– आधार कार्ड
– PAN
– कैंसिल चेक
– अगर खुद की जगह है तो बैनामा की कॉपी और अगर किराए की है तो मालिक की तरफ से जारी एनओसी।
– अगर पार्टनरशिप में फर्म है तो पार्टनरशिप डीड, कंपनी सर्टिफिकेट
– फोटो आदि।
खर्च: कुछ नहीं (एक्सपर्ट से कराने पर वह अपनी फीस ले सकता है)
वेबसाइट: gst.gov.in
कितना समय: 5 से 15 दिन

इन सवालों से मिलेंगे कुछ जवाब

सवाल: लेबर लॉ क्या है और इसके अंतर्गत कौन कवर होता है? लेबर लाइसेंस कहां से लें?
जवाब: किसी भी कंपनी में अगर 10 से ज्यादा कर्मचारी हैं तो वहां लेबर लॉ लागू हो जाता है। इस कानून के अंतर्गत कर्मचारी को ग्रेच्यूटी, बीमारी में कुछ दिनों के लिए बिना वेतन काटे छुट्टी, महिलाओं को प्रग्नेंसी में कुछ दिनों के लिए बिना वेतन काटे छुट्टी देना आदि शामिल हैं।

सवाल: मेरी कंपनी में 25 लोग काम करते हैं। क्या मुझे Employees’ Provident Fund Organisation (EPFO) में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा?
जवाब: किसी भी प्रकार की कंपनी जिसमें 20 या इससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, उसे Employee’s Provident Fund (EPF) और Employee’s Pension Scheme (EPS) में कंट्रीब्यूट करना जरूरी है। इसके लिए कंपनी को EPFO में रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

सवाल: मेरी एक छोटी-सी फैक्ट्री है जिसमें 15 लाेग काम करते हैं। क्या मुझे इसके लिए पलूशन सर्टिफिकेट और फायर एनओसी लेनी होगी?
जवाब: अगर आप कोई ऐसा काम करते हैं जहां से व्यर्थ केमिकल पदार्थ, किसी भी प्रकार का धुआं, राख, डिटर्जेंट, फालतू मेडिकल पदार्थ आदि निकलते हैं तो आपको पलूशन सर्टिफिकेट लेना होगा। वहीं आपके कारोबार में कम से कम एक कर्मचारी या ग्राहक भी है तो फायर एनओसी लेनी जरूरी है।

सवाल: बिजनेस की ग्रीन कैटिगरी क्या है?
जवाब: इस कैटिगरी में वे बिजनेस आते हैं जो सबसे कम प्रदूषण फैलाते हैं। इनका पलूशन इंडेक्स स्कोर 21 से 40 के बीच होता है। ग्रीन कैटिगिरी इंडस्ट्री में आयुर्वेदिक मेडिसिन, छोटी बेकरी, कैंडी, दाल मिल, आटा मिल, सिरेमिक, लेदर फुटवियर आदि आती हैं।

सवाल: किसी भी कंपनी के लिए अपने कर्मचारियों की अटेंडेंस का रेकॉर्ड कब जरूरी है?
जवाब: किसी कंपनी या फर्म के लिए आमतौर पर कर्मचारियों की उपस्थिति और समय की पाबंदी की निगरानी करने, वेतन व मुआवजे की गणना करने और कानूनी व प्रशासनिक मकसद के लिए कर्मचारियों की अटेंडेंस का रेकॉर्ड रखना जरूरी है।

सवाल: स्टार्टअप के लिए मैं घर पर किस प्रकार का ऑफिस खोल सकता हूं?
जवाब: अगर आपका स्टार्टअप या कोई बिजनेस प्रफेशनल कारोबार जैसे एडवाइजरी, क्लिनिक, लॉयर, कोचिंग सेंटर आदि से जुड़ा है तो इसे घर या रेजिडेंशल प्रॉपर्टी से शुरू किया जा सकता है। वहीं अगर कारोबर मैन्युफेक्चरिंग या किसी ऐसी चीज से जुड़ा है जिससे लोगों को खतरा हो जैसे- ऑटोमोबाइल रिपेयर, होटल या रेंस्त्रा, लैब आदि को घर या रेजिडेंशल प्रॉपर्टी में शुरू नहीं कर सकते। ऐसे कारोबार कमर्शल प्रॉपर्टी में ही शुरू किए जा सकते हैं।

नोट: अगले इशू में पढ़ेंगे कि स्टार्टअप के लिए फंड का इंतजाम कैसे करें?

सवाल आपके, जवाब एक्सपर्ट के
हमने 29 जनवरी के अंक में पूछा था कि फर्म या कंपनी बनाने से संबंधित अगर आपका कोई सवाल है तो हमें बताएं। हमें कई सवाल मिले। चुनिंदा सवालों के जवाब इस प्रकार हैं:

सवाल: 10 साल पुरानी पार्टनरशिप को क्या LLP में बदल सकते हैं? – गिरीश बिष्ट
जवाब: हां बदल सकते हैं, लेकिन नाम वही मिले इसकी गारंटी नहीं है। नाम बदल सकता है।

सवाल: MCA में हमारी कंपनी रजिस्टर्ड है। कंपनी में अलग-अलग नाम से ब्रांड शुरू करने का विचार है। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की एक ऑनरशिप में कुल कितने ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड हो सकते हैं? – राजेन्द्र लहुआ
जवाब: कोई लिमिट नहीं है। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की एक ऑनरशिप में असीमित ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड हो सकते हैं।

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एक्सपर्ट पैनल

– सुशील अग्रवाल, CA, पार्टनर, ASAP & Associates
– कार्तिक शर्मा, नैशनल चेयरमैन, AIMA-YLC
– शैंकी भारद्वाज, फाउंडर और सीईओ, Social On Social
– दीपक गौतम, फाउंडर, Amaze E-Commerce



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