Explained: जिस बेबी पाउडर के लिए अमेरिका और कनाडा में रोक उसे भारत में बेचती रहेगी जॉनसन, कटघरे में क्‍यों है कंपनी


नई दिल्‍ली: अमेरिका और कनाडा में जॉनसन एंड जॉनसन (J&J) के जिस बेबी पाउडर पर रोक है, भारत में उसकी बिक्री होती रहेगी। एक-दो नहीं, सिर्फ अमेरिका में 40 हजार से ज्‍यादा मुकदमे कंपनी के खिलाफ दर्ज हैं। उसके बेबी पाउडर में ‘एस्बेस्टस’ होने का आरोप है। यह पदार्थ कैंसर कर सकता है। दो साल से जॉनसन एंड जॉनसन ने अमेरिका और कनाडा में बेबी पाउडर का एक डिब्‍बा नहीं बेचा है। हालांकि, मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक भारत में वह अपने प्रोडक्‍ट को बेचती रहेगी। इन्‍हें इंडियन मार्केट से वापस लेने की उसकी कोई योजना नहीं है। कंपनी अपने इस रुख पर कायम है कि यह प्रोडक्‍ट पूरी तरह सेफ है। यह बात उसने तब कही है जब अमेरिकी कंपनी ऐलान कर चुकी है कि अगले साल की पहली तिमाही से वह टैक-बेस्‍ड बेबी पाउडर बनना बंद कर देगी। इसके बजाय कॉर्नस्‍टार्च बेस्‍ड बेबी पाउडर बनाएगी। यह पूरा मामला आखिर क्‍या है? अमेरिका में किन मुश्किलों से जॉनसन गुजर रही है? उसने अब क्‍या कहा है? यहां इससे जुड़ी हर एक बात को समझते हैं।

जॉनसन बेबी पाउडर पर विवाद क्‍यों?
जॉनसन एंड जॉनसन 1897 से टैलकम या टैक बेस्‍ड बेबी पाउडर बना रही है। टैक मुलायम मिनरल होता जिसे जमीन के अंदर से निकाला जाता है। फिर इसे बारीक पाउडर में बदला जाता है। फिर इससे बेबी पाउडर जैसे प्रोडक्‍ट बनते हैं। यह नमी को सोखता है। पसीने को कम करता है। रैसेज से बचाता है। हालांकि, जिस जगह से टैक को निकाला जाता है, वहां एक और मिनरल मिलता है। इसका नाम है एस्बेस्टस। यह त्‍वचा के लिए अच्‍छा नहीं माना जाता है। इस तरह के अध्‍ययन किए गए हैं जो दिखाते हैं कि टैलकम पाउडर में कुछ मात्रा में एस्बेस्टस भी मिला है। 1990 के दशक से जॉनसन पर मुकदमे होते आए हैं। ये बेबी पाउडर में एस्बेस्टस के मौजूद होने से जुड़े हैं। इन आरोपों को जॉनसन खारिज करती रही है। डारलीन कोकर नाम की महिला ने पहली बार कंपनी को कोर्ट में खींचा था। उनका दावा था कि उन्‍हें और उनकी बच्‍ची को टैक इस्‍तेमाल करने के कारण मीसोथीलियोमा हुआ। यह एक तरह का कैंसर है। इसके बारे में न्‍यूज एजेंसी रायटर्स ने रिपोर्ट दी थी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 1970 के दशक से जेएंडजे को पता था कि उसके टैक प्रोडक्‍टों में कुछ बार थोड़ी मात्रा में एस्बेस्टस होता है। अकेले अमेरिका में कंपनी के खिलाफ 40 हजार से ज्‍यादा केस लंबित हैं। ब्‍लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, उसे अब तक सेटेलमेंट के तौर पर 3.5 अरब डॉलर देने का आदेश दिया जा चुका है।

क्‍या वाकई एस्बेस्टस से कैंसर होता है?
जैसा की ऊपर हमने बताया कि टैक डिपॉजिट के पास एस्बेस्टस मौजूद होता है। ऐसे में टैक के एस्बेस्टस के साथ प्रदूषित होने की आशंका रहती है। इस आशंका को अमेरिकी रेगुलेटर एफडीए भी जाहिर कर चुका है। एस्बेस्टस का इस्‍तेमाल कंस्‍ट्रक्‍शन और मैन्‍यूफैक्‍चरिंग में होता है। इसे फेफड़ों का कैंसर, ओवरी के कैंसर, मीसोथीलियोमा और अन्‍य हेल्‍थ इश्‍यूज के साथ जोड़कर देखा जाता है। अमेरिकी कैंसर सोसाइटी के अनुसार, यह एक स्‍वीकार्य बात है कि एस्बेस्टस से प्रदूषित टैक कैंसर कर सकता है।

अमेरिका और कनाडा में बिक्री रोक चुकी है जॉनसन
2020 में जॉनसन ने कनाडा और अमेरिका में टैक-बेस्‍ड बेबी पाउडर की बिक्री रोक दी थी। तब उसने उपभोक्‍ताओं की बदलती आदत का हवाला दिया था। दरअसल, मीडिया में मुकदमेबाजी की तमाम खबरें आने के बाद बेबी पाउडर की मांग पर भारी असर पड़ा था। इसी के बाद कंपनी को यह कदम उठाना पड़ा था। हालांकि, वह हमेशा अपने इस दावे पर कायम रही कि उसका प्रोडक्‍ट बिल्‍कुल सेफ है। लोगों तक गलत जानकारी पहुंचाई गई। बीते साल अक्‍टूबर में जॉनसन ने एक सब्सिडियरी बनाई। बेबी पाउडर से जुड़े सभी दावों को इसमें ट्रांसफर दिया गया। जबकि एसेट्स को अलग रखा गया। एलटीएल मैनेजमेंट एलएलसी नाम की यह कंपनी दीवालिया होने का आवेदन कर चुकी है।

भारत के संदर्भ में जॉनसन ने क्‍या कहा है?
दिग्‍गज फार्मास्‍यूटिकल कंपनी ने 11 अगस्‍त को एक बड़ा ऐलान किया था। उसने कहा था कि वह अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर टैक-बेस्‍ड बेबी पाउडर नहीं बनाएगी। इसके बजाय वह कॉर्नस्‍टार्च बेस्‍ड बेबी पाउडर बनाना शुरू करेगी। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जेएंडजे ने बताया है कि वह टैक-बेस्‍ड पाउडर खत्म हो जाने तक भारत में इनकी बिक्री जारी रखेगी। उसकी टैक-बेस्‍ड पाउडर को वापस लेने की कोई योजना नहीं है। वह अपने इस रुख पर कायम है कि प्रोडक्‍ट पूरी तरह सेफ है। वह इसे अगले साल की तिमाही तक बनाना जारी रखेगी। पिछले साल राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने डीसीजीआई और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को तलब किया था। जॉनसन बेबी पाउडर में फॉर्मलडिहाइड और एस्बेस्टस की मौजूदगी का पता लगाने के लिए परीक्षण मानकों में एकरूपता की कमी को लेकर ऐसा किया गया था। ये दोनों पदार्थ इंसानों में कैंसर कर सकते हैं।



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