उदयपुर. ज्योतिषी मान्यताओं का असर और सनातन धर्म के प्रति आस्था व विश्वास विदेशियों के बीच कितनी तेजी से बढ़ रहा है, इसका सबूत उदयपुर में दिखा जब रूस की एक युवती ने एक पेड़ से शादी कर ली. तान्या कारपोवा ने बीते 7 दिसंबर को खेजड़ी के पेड़ से विवाह कर साबित कर दिया कि सनातन संस्कृति की पैठ विदेशों में गहरी होती जा रही है. भारत भ्रमण के दौरान 28 साल की तान्या को आगरा में किसी ज्योतिष ने लग्र कुंडली में मंगल दोष बताया तो इसके निवारण के लिए उसने खेजड़ी पूजन कर खेजड़ी के पेड़ से विवाह रचाया.
तान्या शहर के चांदपोल स्थित होटल पैनोरमा हवेली में ठहरीं जबकि सूरजपोल के बाहर फतह स्कूल के सामने खेजड़ी के पेड़ से विवाह की रस्म अदा की. खेजड़ी से विवाह करवाने वाले पंडित हेमंत सुखवाल का कहना है कि मंगल दोष निवारण विधान को लेकर तान्या बहुत उत्साहित थीं. यह प्रथा किस तरह प्रचलित रही है? यह भी जानिए
उदयपुर शहर के ज्योतिषाचार्य प्रो. रवि सोनी ने बताया कि पुराणों में विवाह की इस पद्धति का उल्लेख है. यदि किसी महिला या पुरुष की शादी या कुंडली में कोई दोष है, तो उस दोष के निवारण के लिए खेजड़ी से शादी कराई जाती है. इससे कुंडली के दोष का निवारण किया जा सकता है. इसके साथ ही ठाकुर जी से विवाह, पीपल और कुंभ विवाह का भी विधान बताया गया है.
खेजड़ी को 31 अक्टूबर 1983 को राज्य वृक्ष का दर्जा मिला था. इसके अलावा शमी को गणेश जी का प्रिय वृक्ष माना गया है. कहा ये भी जाता है कि शमी यानी खेजड़ी का वृक्ष भगवान राम को भी अति प्रिय था और लंका आक्रमण से पहले उन्होंने भी इसकी पूजा कर विजयी होने का आशीर्वाद मांगा था. शायद इसी कारण कई स्थानों पर रावण दहन के बाद घर लौटते समय शमी के पत्ते स्वर्ण के प्रतीक के रूप में एक दूसरे को बांटे जाते हैं. ये वृक्ष किसानों के लिए कृषि विपत्तियों का पहले ही संकेत देने वाला वृक्ष बताया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : December 27, 2022, 11:35 IST