क्या आप भी नींद में करते हैं बातें और अजीब हरकतें? कहीं ये किसी बीमारी के संकेत तो नहीं!


Sleep Talking: आपने कई लोगों को नींद में बात करते हुए सुना होगा. शायद रोते, कराहते और डरते भी देखा होगा. कई लोगों में ये आदत देखने को मिलती है. कई बार यह बात इतनी बढ़ जाती है कि कुछ लोग काफी देर तक स्लीप टॉकिंग करते रहते हैं, लेकिन इस बात की उनको भनक नहीं होती क्योंकि वे नींद में होते हैं. हालांकि साथ सोने वाले व्यक्ति के लिए यह भयावह अनुभव हो सकता है. मगर क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? क्यों लोग नींद में बातें करने लगते हैं? क्या इसका संबंध किसी बीमारी से तो नहीं? आइए जानते हैं.      

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि नींद में बात करना एक मजेदार चीज हो सकती है. हालांकि कुछ लोग काफी देर तक अनजाने में बोलते रहते हैं. यह वास्तव में एक बहुत ही सामान्य बात है, जिसे मेडिकल प्रॉब्लम नहीं समझा जाता है. लगभग 3 में से 2 लोग नींद में बात करते हैं. नींद में बात करना एक तरह से पैरासोमनिया है, जो एक स्लीप डिसऑर्डर है. इसमें कोई व्यक्ति नींद के दौरान अजीबोगरीब बातें या हरकतें करता है. द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, स्लीप साइंटिस्ट थेरेसा श्नोरबैक बताती हैं कि नींद में ऐसा बिहेवियर दिखाने या बोलने का कोई नुकसान नहीं है. लेकिन ये स्लीप डिसऑर्डर या हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का संकेत जरूर हो सकता है.

ड्रीम एक्टिविटी से स्लीप टॉकिंग का कनेक्शन?

एम्मा- द स्लीप कंपनी में काम करने वाली एक्सपर्ट ने बताया कि स्लीप टॉकिंग, REM और नॉन-REM स्लीप दोनों के ही दौरान हो सकती है. स्लीप टॉकिंग रिसर्च के बीच विवाद का मुद्दा बनी हुई है. ये समस्या स्लीपर की लाइफ में हाल की घटनाओं से भी जुड़ीं हो सकती हैं या फिर ड्रीम एक्टिविटी से भी इसका कनेक्शन हो सकता है. 
स्लीप टॉकिंग क्यों होती है?

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नींद में बात करने की वजहों को उजागर करने के लिए कई शोध की जरूरत है. हालांकि ऐसा संभव है कि इसका जुड़ाव नींद की कमी से हो. नींद में उत्पन्न होने वाली बाधाएं भी इसका कारण बनती हैं, जैसे- रूम का तापमान, बहुत ज्यादा रोशनी. थेरेसा ने कहा कि स्लीप टॉकिंग रिस्क फैक्टर्स में स्ट्रेस, नींद की कमी और शराब का सेवन शामिल हैं. मेंटल हेल्थ भी नींद में बात करने की वजह बन सकता है. साइंटिस्ट ने कहा कि पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से पीड़ित लोग नींद में बात करने के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं. 

कब लेनी चाहिए मदद 

स्लीप टॉकिंग आमतौर पर चिंता की बात नहीं है. हालांकि अगर इस दौरान चिंता, चीखना या हिंसक गतिविधियों में वृद्धि दिखे तो डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए.

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