ऐक्ट्रेस सुष्मिता सेन को कुछ दिनों पहले दिल का दौरा पड़ा था और जिसकी वजह से उन्हें एंजियोप्लास्टी से गुजरना पड़ा था. 47 वर्षीय पूर्व मिस यूनिवर्स ने गुरुवार को अपने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में इस बात का खुलासा किया है. सुष्मिता ने अपने पिता सुबीर सेन के साथ अपनी एक फोटो पोस्ट की है. जिसमें उन्होंने अपनी हेल्थ को लेकर यह जानकारी शेयर की है. पोस्ट के कैप्शन में सुष्मिता ने लिखा डॉक्टरों ने एंजियोप्लास्टी के बाद उनके दिल में स्टेंट डाला हैं. सुष्मिता ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा मेरे पास एक बड़ा दिल है. आगे ऐक्ट्रेस लिखती है, ऐसे वक्त में मेरी सहायता के लिए सभी लोगों का बहुत-बहुत धन्यवाद.
आइए जानते हैं एंजियोप्लास्टी क्या है?
कोरोनरी एंजियोप्लास्टी या परक्यूटेनियस कोरोनरी इंटरवेंशन का अक्सर यूज दिल की धमनियों के ब्लॉक्ड खोलने के लिए किया जाता है. दिल का दौड़ा पड़ने के 1.5 घंटे के अंदर मरीज को एंजियोप्लास्टी की जानी चाहिए. यह बेहद महत्वपूर्ण समय होता है. एक टाइम लीमिट में यह करना होता है नहीं तो दिल की मांसपेशियों की कोशिकाओं कई तरह से क्षतिग्रस्त हो सकती है. एंजियोप्लास्टी को प्राइमरी एंजियोप्लास्टी के रूप में जाना जाता है. जिस केस में यह संभव नहीं होता है उसमें इंट्रावन क्लॉट बस्टर दिया जाता है. हालांकि क्लॉट बस्टर एक आसान ऑप्शन है.
किस स्थिति में दी जाती है एंजियोप्लास्टी
एंजियोप्लास्टी सर्जरी से उल्ट दिल की धमनियों को ठीक करने के लिए की जाती है. यह तब दी जाती है जब आपको सांस लेने में तकलीफ हो रही है या सीने में किसी तरह का दर्द है तो एंजियोप्लास्टी दी जाती है. दिल का दौरा पड़ने पर यह एंजियोप्लास्टी के जरिए दिल की धमनी को जल्दी से खोलने का काम किया जाता है. यह दिल को होने वाले नुकसान को फटाफट ठीक करने के लिए यूज किया जाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह कोरोनरी धमनियों से प्लाक साफ करने में भी काफी मददगार है. एंजियोप्लास्टी सर्जरी इसलिए भी फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें बड़ी सर्जरी के जरूरत के बिना ही धमनी को वापस से आकार में लाया जा सकता है. दिल का दौरा पड़ने पर स्टेंटिंग के साथ या स्टेंटिंग के बिना एंजियोप्लास्टी की जाती है.
एंजियोप्लास्टी होने से मरीज को इन बातों का रखना होता है ख्याल?
- सर्जरी से पहले किए जाने वाले टेस्ट
- सर्जरी से पहले एनेस्थीसिया चेक
- सर्जरी की प्लानिंग
- सर्जरी से पहले दी जाने वाली दवाइयां
- सर्जरी से पहले फास्टिंग पेट रहना है
- सर्जरी का दिन
- जेनरल सलाह
एंजियोप्लास्टी कैसे किया जाता है?
जिन मरीजों को दिल का दौरा या स्ट्रोक का जोखिम रहता है उन्हें दिल की बायपास सर्जरी के बजाय आजकल एंजियोप्लास्टी की जाती है. मरीज की स्थिति के हिसाब से उन्हें एजियोप्लास्टी दी जाती है.
एंजियोप्लास्टी तीन तरह की होती है ?
बैलून एंजियोप्लास्टी
बैलून एंजियोप्लास्टी के केस में एक कैथेटर के आकार की पतली सी लंबी ट्यूब को बांह या थाई में छोटा सा चीरा लगाकर क्षतिग्रस्त धमनी में डाल दिया जाता है. एक्सरे की सहायता से कैथेटर को ब्लड
सर्कुलेशन के जरिए धमनी में जाता है. बाद में कैथेटर टिप से जुड़े बैलून को अंदर में फुलाया जाता है. फूला हुआ बैलून प्लाक को दबाता है जिसके बाद धमनी चौड़ी हो जाकी है. एक बार धमनी साफ हो जाए दिल में ब्लड सर्कुलेशन वापस से ठीक हो जाता है. बैलून एंजियोप्लास्टी के दौरान स्टेंट्स का इस्तेमाल किया जाता है.
लेजर एंजियोप्लास्टी
लेजर एंजियोप्लास्टी में कैथेटर का तो यूज किया जाता है लेकिन बैलून की जगह लेजर का यूज किया जाता है. लेजर के जरिए प्लाक तक ले जाकर दिल की ब्लॉकेज खत्म की जाती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्लाक किस तरह की उसी हिसाह से बैलून और लेजर का यूज किया जाता है.
अथेरेक्टॉमी
अगर किसी मरीज की धमनी के ब्लॉकेज काफी ज्यादा हैं. जो बैलून और लेजर से खत्म नहीं हो रहे हैं. तो उसे अथेरेक्टॉमी के जरिए हटाया जाता है.इस सर्जरी में प्लाक को सर्जिकल ब्लेड के जरिए पूरी तरह से काट दिया जाता है. सर्जिकल ब्लेड के जरिए क्षतिग्रस्त धमनी को दिल की दीवारों से हटाने की कोशिश की जाती है.
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