दिल्ली उच्च न्यायालय ने क्या दिया फैसला
दिल्ली उच्च न्यायालय की जस्टिस प्रतिभा सिंह ने ई-कॉमर्स प्लेटफार्म ऐमजॉन पर खुदरा विक्रेताओं को ‘रूह अफजा’ ब्रांड के तहत पाकिस्तान में बने शर्बत को बेचने की रोक लगा दी। उच्च न्यायालय ने हमदर्द के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसने सन 1907 में ‘रूह अफ़ज़ा’ चिह्न को अपनाया था। कंपनी इस ब्रांड नाम के तहत सालाना 200 करोड़ रुपये से अधिक के उत्पाद बेचती है। न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह ने यह भी कहा कि यदि वादी (हमदर्द) के ‘रूह अफजा’ चिह्न का उल्लंघन करने वाली कोई अन्य मामला पाया जाता है, तो इसे ऐमजॉन इंडिया के संज्ञान में लाया जाएगा और इसे सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश एवं और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) कानून के अनुसार हटा दिया जाएगा।
वादी का क्या था दावा
वादी ने दावा किया कि गोल्डन लीफ नाम की एक कंपनी ऐमजॉन इंडिया पर ‘रूह अफज़ा’ चिह्न के तहत अपने उत्पाद बेच रही थी। वादी ने यह भी बताया कि उनके द्वारा तीन विक्रेताओं से एमेजॉन मंच के माध्यम से तीन खरीदारी की गई थी और सभी अवसरों पर उत्पाद का निर्माण हमदर्द लैबोरेटरीज (वक्फ) पाकिस्तान द्वारा किए जाने का दावा किया गया था।
भारत-पाक बंटवारे का भुक्तभोगी
एक शताब्दी पहले यूनानी हमीक हफीज अब्दुल मजीद ने दिल्ली में हमदर्द दवाखाना की स्थापना की थी। इसी का शर्बत ब्रांड रूह अफजा है। भारत और पाकिस्तान के बीच जो बंटवारा हुआ, उसका भुक्तभोगी हमदर्द भी बना। हकीम अब्दुल मजीद के छोटे बेटे ने बंटवारे के बाद पाकिस्तान जाने का निर्णय लिया जबकि उनके बड़े बेटे ने भारत में ही रहने का मन बनाया। फिर भारत में उन्होंने हमदर्द नेशनल फाउंडेशन बनाया। पाकिस्तान में (Hamdard Laboratories (Waqf) के नाम से काम चलता रहा।
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