Budget 2023: अगले साल लोकसभा चुनाव… क्‍या जेटली का दांव चलेंगी निर्मला सीतारमण?


नई दिल्‍ली: बजट कभी राजनीति से अछूता नहीं रहा है। चुनाव से पहले हमेशा लोकलुभावन बजट की अपेक्षा की जाती है। इस साल कई राज्‍यों में विधानसभा चुनाव हैं। फिर अगले साल लोकसभा चुनाव हैं। ऐसे में अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण का आगामी बजट कैसा हो सकता है। इसमें आम आदमी पर फोकस रहने के आसार हैं। तमाम तरह के पॉलिसी डिसीजन के जरिये सरकार की उन्‍हें सीधे लाभ पहुंचाने की कोशिश होगी। 2018-19 के केंद्रीय बजट को याद कीज‍िए। 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्‍यान में रखकर तत्‍कालीन वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने ग्रामीण केंद्रित बजट पेश किया था। जेटली का विजन बिल्‍कुल साफ था। वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पांव गांवों में मजबूत करना चाहते थे। लिहाजा, उन्‍होंने कृषि और ग्रामीण इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर पर पूरी ताकत झोंक दी थी। इसके लिए बजट में भारी भरकम प्रावधान किया गया था। 2014 के आम चुनाव से पहले तत्‍कालीन व‍ित्‍त मंत्री पी चिदंबरम ने भी यूपीए सरकार का अंतिम पूर्ण बजट पेश करते हुए यही दांव चला था। उन्‍होंने तब टैक्‍स छूट का दायरा बढ़ाया था। इसके जरिये 5 लाख रुपये से कम आय वालों को बड़ी राहत दी गई थी। निर्मला सीतामरण 1 फरवरी को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट बजट पेश करेंगी। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि सीतारमण जेटली और चिदंबरम का दांव चलेंगी या उन्‍होंने अपने तरकश में कोई और तीर रखा हुआ है।

यह बजट चुनावों के मौसम में आ रहा है। इस साल कर्नाटक, मध्‍यप्रदेश, छत्‍तीसगढ़, राजस्‍थान और तेलंगाना सहित कई प्रमुख राज्‍यों में विधानसभा चुनाव हैं। फिर अगले साल अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने के आसार हैं। ऐसे में निर्मला सीतारमण के सामने कई तरह की चुनौतियां होंगी। राजनीति को वह बिल्‍कुल नजरअंदाज नहीं कर सकती हैं। उम्‍मीद है कि वह ऐसा बजट पेश करेंगी जो राजनीतिक रूप से ‘फीलगुड’ मैसेज देने वाला होगा। अगले साल सिर्फ लेखानुदान पेश किया जाएगा। नई सरकार चुने जाने के बाद पूर्ण बजट पेश होगा।

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दुनिया में जिस तरह के हालात हैं, उन्‍हें देखते हुए एक बात साफ है। सरकार को आर्थ‍िक रफ्तार बनाए रखने के लिए इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर पर खर्च में भारी इजाफा करना होगा। इसका दारोमदार पूरी तरह से सरकार के कंधों पर है। कारण है कि प्राइवेट सेक्‍टर ने अपनी जेबों को संभाल के रखा हुआ है। पिछले ट्रेंड को देखते हुए बजट में 2023-24 के लिए सरकार का अनुमानित पूंजीगत खर्च 9.75 लाख करोड़ रुपये रह सकता है। यह 2022-23 के लिए 7.5 लाख करोड़ रुपये था।

सीतारमण के पास नहीं हैं ज्‍यादा ऑप्‍शन
सीतारमण के पास कोई विकल्‍प नहीं है। उन्‍हें लोकलुभावन बजट के साथ खर्च को बढ़ाना ही होगा। चार्टर्ड अकाउंटेंट गौरव केसरवानी कहते हैं कि आगामी बजट में सीतारमण को अतिरिक्‍त स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन देना चाहिए। इससे निचले ब्रैकेट में आने वाले टैक्‍सपेयर के हाथों में कुछ पैसा बचेगा। कैपेक्‍स एलोकेशन को भी बढ़ाने की जरूरत है। यह कई तरह से अर्थव्‍यवस्‍था में खपत को बढ़ाएगा। पिछले साल के बजट में सीतारमण ने कैंपिटल एक्‍सपेंडिचर में 35 फीसदी से ज्‍यादा बढ़ोतरी की थी। इसे बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये किया गया था। इस समय वित्‍त मंत्री से महंगाई पर अंकुश लगाकर आर्थिक विकास को कायम रखने की उम्‍मीद है। जैसे हालात हैं, उनमें यह बहुत कठिन चुनौती है।

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वोटरों को लुभाने के ल‍िए सीतारमण के पास व‍िकल्‍प
वोटरों को लुभाने के लिए सीतारमण के तरकश में तीरों की कमी नहीं है। वह लोअर मिडिल क्‍लास टैक्‍सपेयर्स को टारगेट कर सकती हैं। इसके लिए इनकम टैक्‍स रेट्स को घटाया जा सकता है या फिर स्‍लैब को इस वर्ग को ध्‍यान में रखकर एडजस्‍ट किया जा सकता है। इसके अलावा वित्‍त मंत्री मनरेगा के लिए एलोकेशन बढ़ा सकती हैं। दूसरा विकल्‍प यह है कि वह गरीबों के लिए ऐसी ही मिलती-जुलती स्‍कीम का ऐलान कर दें। तीसरी चीज जो वह कर सकती हैं वह है चुनाव वाले राज्‍यों में मेगा प्रोजेक्‍टों का ऐलान। इससे माहौल बनाने में मदद मिलेगी। किसानों, छोटे व्‍यापारियों और अन्‍य वर्गों के लिए रियायतों का ऐलान करके इन समूहों को भी खुश किया जा सकता है। सीतारमण को अपने आगामी बजट में हर वर्ग के लिए कुछ रखना होगा। यह बजट ही मोदी सरकार के लिए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पिच तैयार करेगा। ऐसे में सीतारमण को हर एक गेंद बहुत संभालकर डालनी होगी।



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