कैलिफोर्निया के सेंटा क्लारा स्थित सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) 10 मार्च को विफल हो गया जब बैंक की वित्तीय स्थिति को लेकर आशंकित जमाकर्ताओं ने अपने पैसे निकालने के लिए भीड़ लगा दी। यह अमेरिकी इतिहास की दूसरी बड़ी बैंक नाकामी थी। इसके कुछ दिन बैंकिंग नियामकों ने न्यूयॉर्क स्थित सिग्नेचर बैंक के भी नाकाम होने की घोषणा कर दी। नियामकों ने कहा कि इन दोनों बैंकों के सभी जमाकर्ताओं की राशि को संघीय जमा बीमा के तहत संरक्षण मिलेगा।
पिछले सप्ताह एक और बैंक डूबने के कगार पर पहुंच गया था। लेकिन अमेरिका के 11 बैंकों ने मिलकर 30 अरब डॉलर लगाकर सैन फ्रांसिस्को स्थित फर्स्ट रिपब्लिक बैंक को डूबने से बचा लिया था। इस स्थिति में अमेरिकी सरकार भी हरकत में आ गई है और बैंकिंग प्रणाली के प्रति लोगों का भरोसा बहाल करने की कोशिश कर रही है। एसवीबी के डूबने के मामले की न्याय विभाग और प्रतिभूति आयोग ने जांच शुरू कर दी है। इसके अलावा राष्ट्रपति जो बाइडन ने क्षेत्रीय बैंकों से संबंधित नियमों को सख्त करने के लिए संसद की बैठक भी बुलाई है।
इस पृष्ठभूमि में येलेन ने कहा कि अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली के संरक्षण के लिए सरकारी हस्तक्षेप जरूरी था और आगे जरूरत पड़ने पर इस तरह के और कदम भी उठाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा, ”अगर छोटे वित्तीय संस्थानों की जमाएं निकलने लगती हैं तो इस तरह के कदम जरूरी होंगे। उन्होंने कहा, ”मैं साफ-साफ कहना चाहती हूं कि जमाकर्ताओं की बचत और बैंकिंग प्रणाली को सुरक्षित रखने के लिए सरकार सभी जरूरी कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिकी वित्त मंत्री को इस हफ्ते संसद की दो समितियों के समक्ष पेश होना है जहां पर उनसे इस मामले में सवाल-जवाब किए जा सकते हैं। बीते सप्ताह भी वह उच्च सदन सीनेट की वित्त समिति के समक्ष पेश हुई थीं।