आरबीआई के मौजूदा नियमों के मुताबिक किसी कंपनी में एक से अधिक सीआईसी की अनुमति नहीं है। इसलिए रिलायंस कैपिटल को चार सीआईसी में बांटने के लिए आरबीआई से हरी झंडी की जरूरत होगी। एडमिनिस्ट्रेटर ने रिलायंस कैपिटल से चार सीआईसी बनाने का प्रस्ताव रखा है। पीटीआई के एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है इस कवायद का मकसद रिलायंस कैपिटल के इंश्योरेंस बिजनस के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों की मदद करना है। इससे उन्हें इंश्योरेंस रेगुलेटर आईआरडीएआई की पांच साल के लॉक इन पीरियड वाले नियम से बचने का मौका मिलेगा।
क्या होगा फायदा
आईआरडीएआई के मौजूदा गाइडलाइंस के मुताबिक किसी इंश्योरेंस कंपनी में प्रमोटर्स और दूसरे निवेशकों की इक्विटी कंट्रीब्यूशन के लिए पांच साल का लॉक इन पीरियड (lock-in period) होगा। लेकिन एडमिनिस्ट्रेटर की लीगल एडवाइजर फर्म AZB and Partners के मुताबिक रिलायंस कैपिटल के प्रस्तावित स्ट्रक्चर पर यह नियम लागू नहीं होगा। इससे एडवेंट प्राइवेट इक्विटी जैसी कंपनियों को किसी भी समय इंश्योरेंस वेंचर से निकल सकेंगी। माना जा रहा है कि एडमिनिस्ट्रेटर की तीन सदस्यीय एडवाइजरी कमेटी ने रिलायंस कैप की रिस्ट्रक्चरिंग को मंजूरी दे दी है। इस कमेटी में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व डीएमडी संजीव नौटियाल, एक्सिस बैंक के पूर्व डीएमडी श्रीनिवासन वर्दराजन और टाटा कैपिटल के पूर्व सीईओ प्रवीण के कांदले शामिल हैं।
क्या है सीआईसी
आरबीआई के नियमों के मुताबिक सीआईसी एक एनबीएफसी है जो शेयरों और सिक्योरिटीज के एक्विजिशन का बिजनस करती है। इसकी 90 फीसदी से अधिक नेट एसेट्स ग्रुप कंपनियों में एक्विटी शेयर्स, प्रीफरेंस शेयर्स, बॉन्ड्स, डिबेंचर्स, डेट या लोन के रूप में निवेश होता है। रिलायंस कैपिटल में करीब 20 फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियां हैं। इनमें सिक्योरिटीज ब्रोकिंग, इंश्योरेंस और एक एआरसी शामिल है।
आरबीआई ने भारी कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को 30 नवंबर 2021 को भंग कर दिया था और इसके खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग शुरू की थी। सेंट्रल बैंक ने नागेश्वर राव को कंपनी का एडमिनिस्ट्रेटर बनाया था। फरवरी में उन्होंने रिलायंस कैपिटल को बेचने की प्रक्रिया शुरू की थी। राव ने बोलीकर्ताओं को पूरी कंपनी या अलग-अलग कंपनियों के लिए बोली लगाने का विकल्प दिया था। इसके लिए रिजॉल्यूशन सबमिट करने की अंतिम तारीख 29 अगस्त थी। एडमिनिस्ट्रेटर ने फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के 23,666 करोड़ रुपये के दावों को वेरिफाई किया है। एलआईसी ने 3,400 करोड़ रुपये का दावा किया है।