बिजनस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस कैपिटल के कुछ लेंडर्स की टॉरेंट ग्रुप और हिंदूजा ग्रुप के साथ शुक्रवार को मीटिंग हुई। इसमें हिंदूजा ने कहा कि उसकी 8,110 करोड़ रुपये की मूल बोली को ही माना जाना चाहिए। हिंदूजा ने चैलेंज मैकेनिज्म की तहत अपनी बोली बढ़ाई थी। इससे बैंकों को इंटरेस्ट कॉस्ट के रूप में भारी नुकसान हो सकता है। हाल में पेश बजट में पांच लाख रुपये से अधिक के इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स पर टैक्स लगाया गया है। इससे रिलायंस कैपिटल की वैल्यूएशन और गिर गई है। रिलायंस कैपिटल की रिलायंस निप्पन लाइफ इंश्योरेंस (Reliance Nippon Life Insurance) में 51 फीसदी और रिलायंस जनरल इंश्योरेंस (Reliance General Insurance) में 100 फीसदी हिस्सेदारी है।
रुक गई प्रोसेस
सुप्रीम कोर्ट टॉरेंट की अपील पर सभी पक्षों को नोटिस जारी कर चुका है। मामले की सुनवाई अगस्त में होगी। इस बीच कोर्ट ने बैंकों को सेकंड चैलेंज मैकेनिज्म यानी बातचीत की अनुमति दे दी है लेकिन सबकुछ टॉरेंट की अपील पर फाइनल ऑर्डर पर निर्भर करेगा। इसका मतलब यह हुआ कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक बैंक किसी और को नहीं दे सकते हैं। यही वजह है कि कोई भी बिडर अब इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहता है। इसके साथ ही एक तरह के कंपनी की रिजॉल्यूशन प्रोसेस रुक गई है। यह प्रोसेस नवंबर 2021 में शुरू हुई थी।
रिलायंस कैपिटल इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग प्रोसेस से गुजर रही है। इसमें करीब 20 फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियां हैं। इनमें सिक्योरिटीज ब्रोकिंग, इंश्योरेंस और एक एआरसी शामिल है। आरबीआई ने (RBI) भारी कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को 30 नवंबर 2021 को भंग कर दिया था और इसके खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग शुरू की थी। पहले राउंड में टॉरेंट ने इसके लिए 8,640 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई थी। फोर्ब्स इडिया की 2007 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार अनिल अंबानी नेटवर्थ 45 बिलियन अरब डॉलर थी और उस समय वह देश के तीसरे सबसे बड़े रईस थे। लेकिन आज उनकी नेटवर्थ जीरो है।