Anil Agarwal: कर्ज घटाने के लिए प्रॉपर्टी बेचना चाहते हैं अनिल अग्रवाल लेकिन सरकार नहीं तैयार, जानिए क्या है मामला


नई दिल्ली: माइनिंग सेक्टर की दिग्गज कंपनी वेदांता ग्रुप (Vedanta Group) के चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) ने कर्ज कम करने की योजना बनाई है। इसके लिए वह अपनी एक यूनिट को हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (Hindustan Zinc Ltd.) को बेचना चाहते हैं। लेकिन सरकार ने उन्हें ऐसा नहीं करने को कहा है। सरकार ने साथ ही आगाह किया है कि कि अगर ग्रुप ने ऐसा करने की कोशिश की तो वह लीगल एक्शन पर भी विचार करेगी। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में सरकार की करीब 30 फीसदी हिस्सेदारी है। इससे अग्रवाल की कर्ज कम करने की योजना को झटका लगा है। S&P Global Ratings ने हाल में कहा था कि अगर वेदांता ने अपने इंटरनेशनल जिंक एसेट्स को बेचकर दो अरब डॉलर नहीं जुटाए तो कंपनी पर दवाब बढ़ सकता है। हिंदुस्तान जिंक ने जनवरी में वेदांता ग्रुप की सहयोगी कंपनी THL Zinc Ltd. Mauritius को 2.98 अरब डॉलर में खरीदने पर सहमति जताई थी। यह खरीद 18 महीने के अंतराल में चरबद्ध तरीके से की जानी थी। तब सरकार ने कहा था कि वह इस सौदे का विरोध करेगी।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक खान मंत्रालय ने 17 फरवरी को हिंदुस्तान जिंक को इस बारे में एक पत्र लिखा। इसकी एक कॉपी सोमवार को स्टॉक एक्सचेंजेज पर पोस्ट की गई। इसमें कहा गया है कि हिंदुस्तान जिंक के बोर्ड में शामिल सरकारी प्रतिनिधियों ने इस योजना का विरोध किया है और अगर कंपनी ने इस डील को आगे बढ़ाया तो सरकार सभी तरह के कानूनी विकल्पों पर विचार करेगी। मंत्रालय ने कंपनी से इन एसेट्स को खरीदने के लिए दूसरे नकदी रहित तरीकों का पता लगाने को कहा है। हिंदुस्तान जिंक ने मंत्रालय से पत्र मिलने की बात स्वीकार की है।
Navbharat Times

Anil Agarwal news: स्टील बिजनस बेचने की तैयारी में अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता, जानिए क्यों आई ऐसी नौबत

वेदांता की दुधारू गाय

शेयर बाजार को दी जानकारी में हिंदुस्तान जिंक ने बताया कि प्रस्तावित लेनदेन आम बैठक में शेयरधारकों की मंजूरी के बाद ही किया जा सकता है। हिंदुस्तान जिंक कई साल से वेदांता के लिए दुधारू गाय बनी हुई है। हालांकि पिछले साल अप्रैल से दिसंबर तक कंपनी के टोटल ग्रास इनवेस्टमेंट्स और कैश एंड कैश इक्विवैलेंट्स में करीब 21 फीसदी गिरावट आई है। वेदांत रिसोर्सेज के 4.7 अरब डॉलर के बॉन्ड अगले साढ़े साल में मैच्योर हो रहे हैं। यह वजह है कि कंपनी को इसके भुगतान के लिए कैश की जरूरत है।



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