सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में चीन को टक्कर देने के लिए जापान से मदद लेगा अमेरिका


अमेरिका में कंप्यूटर चिप मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने के लिए एक नया कानून लाया गया है। अमेरिका की उप राष्ट्रपति Kamala Harris ने कहा कि अमेरिकी सरकार इस सेगमेंट में नए इनवेस्टमेंट और पार्टनरशिप की तलाश कर रही है। उन्होंने इसके लिए जापान से मदद मांगी है।

 Associated Press की रिपोर्ट के अनुसार, जापान के दौरे पर गई Harris ने सेमीकंडक्टर के प्रोडक्शन और महत्वपूर्ण मैटीरियल्स के लिए सप्लाई चेन को बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान कंप्यूटर चिप्स की सप्लाई में रुकावट आने से इकोनॉमी पर हुए बड़े असर का पता चला था। इससे इंडस्ट्री की कॉस्ट बढ़ गई थी और कारों और अन्य प्रोडक्ट्स की असेंबली में देरी हुई थी। Harris का कहना था, “अमेरिका और जापान के लोग बहुत से ऐसे प्रोडक्ट्स पर निर्भर करता है जिनके बारे में उन्हें कई बार यह नहीं पता होता कि उनमें कंप्यूटर चिप्स का इस्तेमाल जरूरी है।” पिछले कुछ महीनों में चीन ने कंप्यूटर चिप्स में इनवेस्टमेंट बढ़ाया है। अमेरिका भी सेमीकंडक्टर के प्रोडक्शन को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए जापान, ताइवान और दक्षिण कोरिया के साथ टेक्नोलॉजी से जुड़ी पार्टनरशिप की जा रही हैं। 

Harris ने कहा कि अमेरिका को पता है कि कोई एक देश दुनिया भर की डिमांड को पूरा नहीं कर सकता और इस वजह से अमेरिका और इसके सहयोगियों को मिलकर काम करने की जरूरत है। अमेरिका में पारित किए गए चिप्स एंड साइंस एक्ट के तहत सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनियों को 52 अरब डॉलर की ग्रांट और इंसेंटिव दिए जाएंगे। इसके साथ ही अमेरिका में प्लांट्स लगाने पर 25 प्रतिशत का टैक्स क्रेडिट भी मिलेगा। इस एक्ट में अगले एक दशक में रिसर्च को मदद देने के लिए लगभग 200 अरब डॉलर का प्रावधान भी किया गया है। 

हाल ही में ग्लोबल माइनिंग कंपनियों में शामिल वेदांता ने गुजरात में सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट लगाने का फैसला किया था। इस प्रोजेक्ट के लिए वेदांता ने ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर Foxconn के साथ 20 अरब डॉलर का ज्वाइंट वेंचर किया है। इस ज्वाइंट वेंचर में वेदांता के पास बड़ी हिस्सेदारी होगी। कंपनी ने सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए गुजरात से फाइनेंशियल सब्सिडी और कम प्राइस पर इलेक्ट्रिसिटी की मांग की थी। वेदांता ने कॉस्ट के बिना लगभग 1,000 एकड़ जमीन को 99 वर्ष की लीज पर मांगा था। इस प्रोजेक्ट के लिए महराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्य भी दौड़ में थे। 

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