रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक जेपी मोर्गन ने एक नोट में कहा कि इन तीनों कंपनियों को सिलिकॉन वैली बैंक में अपने एक्सपोजर के लिए प्रॉविजन करना पड़ सकता है। इसमें कहा गया है कि एसवीबी और सिग्नेचर बैंक के डूबने तथा अमेरिका और यूरोप में लिक्विडिटी की चिंताओं बैंक शॉर्ट टर्म में अपने टेक बजट को कम कर सकते हैं। देश की आईटी इंडस्ट्री पहले ही यूरोप और अमेरिका में मैक्रोइकॉनमिक एनवायरमेंट की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। महामारी के कारण डिमांड कम हुई है। इस कारण कंपनियां टेक्नोलॉजी पर खर्च कम कर रही हैं। बैंकिंग क्राइसिस से स्थिति और बदतर हो सकती है। इस कारण अगली कुछ तिमाहियों में आईटी कंपनियों का रेवेन्यू प्रभावित हो सकता है।
किससे आता है सबसे ज्यादा रेवेन्यू
भारतीय आईटी कंपनियों का सबसे ज्यादा रेवेन्यू बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेस और इंश्योरेंस (BFSI) सेक्टर से आता है। इस सेक्टर में अमेरिकी बैंकों में उनका एक्सपोजर औसतन 62 फीसदी और यूरोप में 23 फीसदी है। माइंडट्री ने हाल में कहा था कि एसवीबी समेत अमेरिकी बैंकों में उसका एक्सपोजर मामूली है। टीसीएस देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी और मार्केट कैप के हिसाब से मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के बाद दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। टीसीएस का शेयर शुक्रवार को 0.18 फीसदी गिरावट के साथ 3178.95 रुपये पर बंद हुआ। दूसरी ओर इन्फोसिस का शेयर 10.4 फीसदी की तेजी के साथ 1420.85 रुपये पर पहुंच गया।