नई दिल्ली: सेबी की एक रिपोर्ट के अनुसार लाखों निवेशकों ने भारत के डेरिवेटिव्स के मार्केट में निवेश किया है, लेकिन इक्विटी एंड स्टॉक फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफ एंड ओ) सेगमेंट में निवेश करने वाले 10 में से 9 व्यापारियों को इसमें घाटा उठाना पड़ा। इस सेग्मेंट में घाटा उठाने वाले 84 फीसदी पुरुष थे, जबकि 75 फीसदी महिलाएं थीं। रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2022 के दौरान इन लोगों ने औसत रूप से ट्रेडिंग एफ एंड ओ में 1.1 लाख रुपये गंवाए। भारत में 10 लोगों ने स्टॉक फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफ एंड ओ) में पैसा निवेश किया, लेकिन उन्हें घाटा उठाना पड़ा। हर हफ्ते नए स्टॉक्स और कमोडिटी की लॉन्चिंग व्यक्तिगत निवेशकों के घाटे की प्रमुख वजह रही। रिपोर्ट के अनुसार केवल 1.1 निवेशकों ने ही औसत रूप से डेढ़ लाख रुपये का लाभ कमाया।
सेबी की रिपोर्ट के अनुसार 2017 से पहले बाजार नियामक ने पाया कि अधिकांश रिटेल निवेशकों का मानना था कि फिक्सड डिपॉजिट की तुलना में एफ एंड ओ में सुरक्षित रूप से निवेश किया जा सकता है। सेबी की रिपोर्ट के अनुसार मार्केट के इस सेग्मेंट में निवेश करने वाले 98 फीसदी लोगों ने ऑप्शंस में ट्रेनिंग की, जबकि 11 फीसदी ने फ्यूचर्स में निवेश किया। वित्तीय वर्ष 2019 में 89 फीसदी निवेशकों ने ऑप्शंस में निवेश किया, जबकि 43 फीसदी ने फ्यूचर्स में ट्रेड किया।
सेबी की रिसर्च के अनुसार घाटा उस समय हुआ, जब एफएंड ओ में निवेश करने वाले लोगों की संख्या में 3 साल में 6.5 गुना बढ़ोतरी हो गई। वित्त वर्ष 19 में इस सेग्मेंट में 7.1 लाख लोगों ने निवेश किया, जबकि वित्त वर्ष 2022 में इस सेग्मेंट में निवेश करने वाले टॉप टेन ब्रोकर्स के क्लाइंट्स की संख्या 45.2 लाख तक पहुंच गई। इन तीन सालों में वित्त वर्ष 21 और वित्त वर्ष 22 में कोरोना महामारी का प्रकोप चरम पर था। इस अवधि में खोले गए डीमेट अकाउंट्स की संख्या दोगनी होकर करीब 9 करोड़ तक पहुंच गई।
रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2022 में इक्विटी एफ एंड ओ सेग्मेंट में 20 से 30 साल के नौजवानों का शेयर सूचकांक और स्टॉप विकल्पों में 30 फीसदी से ज्यादा हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2019 में यह भागीदारी केवल 11 फीसदी थी। उन्होंने यह भी पाया कि महिला निवेशकों का औसत घाटा और औसत लाभ दोनों पुरुष निवेशकों से ज्यादा था। हालांकि महिलाओं ने इस सेग्मेंट में निवेश के लिहाज से केवल दो फीसदी भागीदारी की।
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